गाय को सुनाओ म्यूजिक, पहले से ज्यादा दूध देगी बेशक

Loading

पड़ोसी ने हमसे कहा, “निशानेबाज, राजस्थान (Rajasthan) के सीकर (Sikar) की एक गौशाला में गायों (Cow) को मीराबाई के भजन और रामचरित मानस की चौपाइयां सुनाई जाती हैं. गौमाता को संगीत सुनाने के लिए गौशाला समिति ने 6 माह पहले 50,000 रुपए खर्च कर म्यूजिक सिस्टम लगवाया है.” 

हमने र कहा, “इंसान भजन सुने तो बात अलग है. मवेशियों को इससे क्या वास्ता ! हमने तो कहावत सुनी है कि भैंस के आगे बीन बजाई, वो बैठी पगुराई!” 

पड़ोसी ने कहा, “निशानेबाज, बात भैंस की नहीं है, गाय की है जो अधिक समझदार और संवेदनशील होती है. कहते हैं कि गाय में 33 कोटि देवताओं का वास होता है.” 

हमने कहा, “आपका आशय यह है कि गाय के माध्यम से 33 करोड़ देवताओं को भजन और रामायण की चौपाइयां सुनाने का काम हो रहा है. क्या इसका कोई अनुकूल नतीजा सामने आ रहा है?” 

पड़ोसी ने कहा, “निशानेबाज, किसी भी कर्म के साथ फल जुड़ा रहता है. भजन और चौपाइयां हैं सुनने का असर यह हो रहा है कि 6 माह पहले तक रोजाना 13 लीटर दूध देनेवाली गायें अब 17 लीटर तक दूध दे रही हैं. उन्हें सुबह 5.15 से 8 बजे तक और शाम को 4.30 से 7.30 बजे तक चौपाइयां और भजन सुनाए जाते हैं, इससे भावविभोर और प्रसन्न होकर वे अधिक दूध देती . हम तो कहते हैं कि सारे भारत में ऐसा प्रयोग होना चाहिए. भगवान कृष्ण जब बांसुरी बजाते थे तो गायें दौड़ी चली आती थीं. मधुर संगीत की स्वरलहरियों का विलक्षण प्रभाव पड़ता है. गाय को पौष्टिक चारा खिलाओ और सुबह-शाम भजन सुनाओ तो ऐसा चमत्कार होकर रहेगा. सरकारी पशुसंवर्धन विभाग को भी ऐसा प्रयोग करके देखना चाहिए. सिर्फ गाय नहीं, अन्य प्राणियों पर भी एक्सपेरिमेंट करके देखा जाए, भैंस, घोड़े, गधे, हाथी भी क्यों वंचित रहें? ईश्वर तो हर प्राणी या कण-कण में रहता है.” 

हमने कहा, “देशी प्रजाति की गायों की बात अलग है लेकिन विदेशी जर्सी या होलस्टीन नस्ल की गाय को क्या सुनाया जाए? वह भजन या चौपाई क्या समझेगी?” 

पड़ोसी ने कहा, “निशानेबाज, विदेशी गाय को वेस्टर्न म्यूजिक सा.रेगा. मा…SSS प ध नि साया इंग्लिश सॉन्ग सुनाना बेहतर रहेगा.”