‘मन की बात’ गई खाली किसानों ने बजाई थाली और ताली

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पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, (Nishanebaaz) आप तो जानते हैं कि दिल से दिल को राह होती है. कोई अपने मन की बात (Mann Ki Baat) कहे तो उसे मन लगाकर सुन लेना चाहिए. खासतौर पर जब प्रधानमंत्री मोदी(Narendra Modi) के मन की बात हो तो उस पर समूचे देशवासियों को पूरी एकाग्रता से ध्यान देना चाहिए. कितने अफसोस की बात है कि जब पीएम बोल रहे थे तब उनका विरोध करते हुए सिंघु, टिकरी, गाजीपुर, शाहजहांपुर सीमा पर धरना स्थलों (Farmers Protest) में तथा कई राज्यों में किसान थाली, ताली और ड्रम बजाकर अपना जोरदार विरोध दर्ज कर रहे थे.’’ हमने कहा, ‘‘थाली बजाना तो मोदी ने ही सिखाया था.

याद कीजिए, कोरोना के खिलाफ अपने आंगन, छत या बालकनी में खड़े होकर थाली बजाने को पीएम ने ही कहा था. लोगों ने थाली बजाई, दीए जलाए लेकिन कोरोना नहीं भागा. अब किसान थाली बजाकर केंद्र सरकार को चुनौती दे रहे हैं.’’ पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, मन की बात दिल की गहराइयों से उपजती है. जब विचारों की घटा और संवेदना का ज्वार उमड़ पड़ता है और मनमयूर नर्तन करने लगता है तब मन की बात कहने को जी चाहता है. पीएम से भी रहा नहीं जाता. जब भी मन होता है, वे अपने मन की बात आकाशवाणी और टीवी से तुरंत कह डालते हैं. मन ही मन घुलते नहीं रहते. मन की बात तुरंत कह डालो तो जी हल्का हो जाता है. नाचे मन मोरा, मगन तिग दा धीगी-धीगी जैसी अनुभूति होती है.’’ हमने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री सिर्फ अपने मन की बात कहते हैं, किसी दूसरे के मन की बात नहीं सुनते. क्या यह एकपक्षीय रवैया नहीं है? लोकतंत्र में सभी की बात सुनी जानी चाहिए.

जब नेहरू प्रधानमंत्री थे तो संसद में उनके सामने डा. राममनोहर लोहिया, आचार्य कृपलानी, प्रो. रंगा, हीरेन मुखर्जी, मीनू मसानी, भूपेश गुप्त सभी अपने मन की बात कहते थे. अब विपक्ष की सुनी नहीं जाती.’’ पड़ोसी ने कहा, ‘‘जिस तरह घर का मुखिया सारे बड़े फैसले लेता है, वैसे ही प्रधानमंत्री मोदी भी देश के मुखिया के रूप में मन की बात कहते हैं और अपने मन की करते हैं. उनके विचारों को निष्ठापूर्वक सुनना और उस पर चिंतन-मनन करना चाहिए. जो पीएम के विचारों का विरोध करता है, उसे बीजेपी नेता देशद्रोही, अर्बन नक्सल और खालिस्तानी कहते हैं. मन की बात में मोदी के अमृत वचनों को सुनने की बजाय उसी वक्त थाली बजाना किसानों की मनमानी है. इसलिए सभी अपने चंचल मन पर काबू रखकर सिर्फ पीएम के मन की बात सुनें.’’