कोई नेता चौकीदार तो…, शरद पवार भी हैं आघाड़ी के पालनहार

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    पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, संकट में पड़ी आघाड़ी सरकार अपने पालनहार शरद पवार से मन ही मन विनती करती हुई कह रही होगी- तुम करुणा के सागर, तुम पालनकर्ता, तुम हो परम पराक्रमी, कृपा करो भर्ता! आघाड़ी के घटक दल पवार से यह भी कह रहे होंगे- डगमग डगमग डोले नैया, पार लगा दो तो जानूं खिवैया!’’ 

    हमने कहा, ‘‘आप पवार को लेकर बेकार की कल्पनाएं कर रहे हैं. इतने विकट संकट के भंवर में जा फंसी उद्धव सरकार को पवार कैसे पार लगाएंगे? जैसे कोई आंख का काजल चुरा ले जाए, उसी तरह शिवसेना के बागी विधायक मुंबई से पहले सूरत और फिर गुवाहाटी चले गए. गृह विभाग पवार की पार्टी एनसीपी के पास होने पर भी विधायकों के मूवमेंट की भनक तक नहीं लगी. अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत जैसी स्थिति हो गई. समस्या है लाइलाज, कैसे बचेगा आघाड़ी का तख्त-ओ-ताज! जब आएगी विश्वासमत की नौबत, आघाड़ी को चुकानी पड़ेगी बड़ी कीमत!’’ 

    पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, गहन संकट की घड़ी में ही पालनहार का स्मरण करना पड़ता है. जब गजराज को ग्राह (मगर) ने पकड़ लिया था और गहरे पानी में खींचने लगा था तब असहाय गजराज ने पालनकर्ता भगवान विष्णु को याद कर प्रार्थना की थी. उन्होंने सुदर्शन चक्र से मगर का सिर काटकर गजराज की प्राण रक्षा की थी. प्रार्थना में बड़ी शक्ति है. भक्त ध्रुव और भक्त प्रल्हाद ने भी तो स्तुति की थी.’’ 

    हमने कहा, ‘‘आघाड़ी के पालनहार पवार ने भी उद्धव को इस्तीफा देने से रोक रखा है. वे मामले को अंजाम तक पहुंचाना चाहते हैं. साहस के साथ सियासत करना इसे ही कहते हैं. पानी गले तक आ जाए तो भी उम्मीद मत छोड़ो, किसी चमत्कार की प्रतीक्षा करो!’’ 

    हमने कहा, ‘‘बीजेपी नेता भी जानते हैं कि पवार के दांव-पेंच पुराने हो चुके हैं. कश्मीर घाटी और गुवाहाटी के अनुभव ले चुकी बीजेपी मुंबई की चौपाटी को फिर हासिल करेगी. इसमें लगेंगे कुछ दिन, अपनी वापसी को लेकर देवेंद्र ने पहले ही मराठी में कहा था- मी पुन्हा येईन.’’