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    पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, धर्म के नाम पर इंदौर के श्रद्धालुओं से ठगी का एक और मामला सामने आया है. इस प्रकरण में अजीतसिंह चौहान उर्फ प्रभु महाराज को गुजरात के अमरेली जिले से गिरफ्तार किया गया. महाराज ने गत वर्ष इंदौर में भागवत कथा सुनाई थी और उसमें बड़ी संख्या में शामिल श्रद्धालुओं को यह झांसा देते हुए 40 लाख रुपए जमा किए थे कि वह उन्हें हरिद्वार की यात्रा कराएगा और वहां ऐसी ही कथा का रसपान कराएगा.

    जब लंबे समय तक प्रभु महाराज ने हरिद्वार में भागवत कथा का आयोजन नहीं किया और भक्तों को नहीं ले गया तो लोगों का माथा ठनका. महाराज ने धार्मिक आयोजन के नाम पर जमा धन लौटाने में आनाकानी की तो श्रद्धालुओं ने पुलिस में रिपोर्ट की. इसके बाद कथावाचक को गिरफ्तार किया गया. यह कैसा गोरखधंधा है जिसमें लोगों ने धर्म को धंधा बना लिया है?’’

    हमने कहा, ‘‘रोचक ढंग से कथा सुनाना, बीच-बीच में भजन गाना, कुछ दृष्टांत और किस्से-कहानी कहने लगना परफार्मिंग आर्ट है. कुछ वाकपटु लोग इसमें एक्सपर्ट हो जाते हैं. यह एक प्रकार का बिजनेस हो गया है. पेशेवर कथावाचक के पास आयोजन के लिए संपर्क करो तो वह सीधे पूछेगा कि बजट कितने का है? कितने लोग कथा सुनने आएंगे? आप कितना कमाएंगे और हमें कितना मिलेगा? वह एल्बम दिखाकर बताएगा कि मंच की साज-सज्जा कैसी होनी चाहिए.

    सब फाइनल होने के बाद वह पेशगी में मोटी रकम लेगा और अपनी गाने-बजाने वाली टीम लेकर आएगा. इधर कथा के कवरेज के लिए प्रचार समिति बनाकर मीडिया को सेट किया जाएगा. माहौल बनाने के लिए कुछ लोगों को कथा के बीच भाव-विभोर होकर नाचने के लिए तैयार रखा जाएगा. यह ऐसा व्यवसाय है जो धर्म की आड़ में फल-फूल रहा है. लोग श्रद्धा करते हैं और इस तरह के लोग कथावाचन के नाम पर धंधा करते हैं. भक्ति, ज्ञान, वैराग्य की बात करने वाले कथावाचक को साधु-संन्यासी समझने की भूल मत कीजिएगा. यह उनका पेशा है.’’