पीएम हर कदम पूरी सूझबूझ और दूरदर्शिता के साथ उठाते हैं.
पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों को लाने से पहले प्रधानमंत्री मोदी ने इस बचाव अभियान या रेस्क्यू आपरेशन के विधिवत नामकरण पर विचार मंथन किया. उन्होंने बिल्कुल सिस्टमेटिक तरीका अपनाया. नाम पहले रखो और काम बाद में करते बैठो. यह नहीं कि आननफानन में हवाई जहाज भेज दिए.
पीएम हर कदम पूरी सूझबूझ और दूरदर्शिता के साथ उठाते हैं. हो सकता है कि मोदी ने अपने मंत्रियों से पूछा होगा कि इस अभियान को कोई नाम देना है कि नहीं? मंत्रियों ने कहा होगा- सर, आप ही तय कर लीजिए. पीएम ने कहा होगा- इस समय सबसे महत्वपूर्ण चुनावी मुकाबला यूपी में है और हम गंगा तट पर बसे वाराणसी के सांसद भी हैं. हमने एक बार कहा था कि मैं यहां खुद नहीं आया, मुझे तो मां गंगा ने बुलाया है. इसलिए सबसे पहले इस मिशन का नाम ‘आपरेशन गंगा’ रखा जाए. इससे चुनाव में बीजेपी को काफी फायदा होगा और इसके बाद 4 मंत्रियों को भेजकर छात्रों को स्वदेश लाने की कार्रवाई शुरू की जाए.’’
हमने कहा, ‘‘सचमुच मोदी सरकार की समयसूचकता की दाद देनी होगी. अगर मध्यप्रदेश में चुनाव होते तो इस मिशन का नाम ‘आपरेशन नर्मदा’ कर दिया जाता. यदि गुजरात के चुनाव की बेला में विदेश में फंसे छात्रों को वापस लाने का काम होता तो इसका नाम ‘आपरेशन साबरमती’ रखा जाता. यदि राजस्थान का इलेक्शन होता तो मोदी सरकार इस मुहिम को चंबल का नाम दे देती.’’
पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, मोदी ने ऐसे नामकरण से गंगा के प्रति आस्था दिखाई है. गंगा को लेकर कितने ही गीत हैं- गंगा तेरा पानी अमृत, कलकल बहता जाए! जमाने से कहो, अकेले नहीं हम, हमारे संग-संग चलें गंगा की लहरें! तू गंगा की मौज, मैं जमुना का धारा, रहेगा मिलन ये हमारा-तुम्हारा! तेरे मन की गंगा, मेरे मन की जमुना का, बोल राधा बोल संगम होगा कि नहीं! गंगा आए कहां से, गंगा जाए कहां से, लहराते पानी में देखो धूप-छांव रे!’’ प
ड़ोसी ने कहा, ‘‘पीएम ने भविष्य के ऐसे अभियानों के लिए नदियों के नाम की पूरी सूची मंगवा ली होगी. छत्तीसगढ़ की महानदी, महाराष्ट्र की कृष्णा, गोदावरी, आंध्रप्रदेश की तुंगभद्रा, कर्नाटक की कावेरी का नाम रिजर्व में रखा होगा.’’