नेता के प्रति श्रद्धावनत, राजनाथ ने मोदी में देखी बापू की मूरत

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    पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह अपनी भावनाओं पर काबू नहीं रख पाए. उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी की बापू से तुलना कर दी. राजनाथ ने राज की बात बताते हुए कहा कि महात्मा गांधी के बाद मोदी ही एकमात्र नेता हैं जिन्हें भारतीय समाज और उसके मनोविज्ञान की गहरी समझ है.’’ हमने कहा, ‘‘इसमें आश्चर्य की क्या बात है! जाकी रही भावना जैसी, प्रभु मूरत देखी तिन जैसी! राजनाथ को मोदी में बापू की छवि नजर आती है. हो सकता है कि राजनाथ का पुनर्जन्म में विश्वास हो. 

    महात्मा गांधी 30 जनवरी 1948 को गोडसे की गोली से स्वर्ग सिधार गए. शायद इसके बाद 1950 में मोदी के रूप में बापू का रिबर्थ या पुनर्जन्म हुआ होगा.’’ पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, बापू दुबले-पतले थे जबकि मोदी का सीना 56 इंच का है. बापू के चश्मे का फ्रेम गोल शीशे (राउंड ग्लासेस) वाला था, मोदी रिमलेस फ्रेम का महंगा चश्मा लगाते हैं. बापू मौन व्रत धारण करते थे जबकि मोदी को मन की बात कहने की आदत है. 

    बापू कहते थे कि हिंदू और मुसलमान मेरी आंखों के 2 तारे हैं लेकिन मोदी ऐसा कुछ भी नहीं कहते. बापू कभी अमेरिका नहीं गए थे. बैरिस्टरी पास करने और बाद में गोलमेज सम्मेलन में भाग लेने के लिए पानी के जहाज से लंदन गए थे. मोदी तो दुनिया के तमाम देशों का हवाई सफर करते हैं. आरएसएस वालों ने बापू को कभी पसंद नहीं किया लेकिन उन्हें मोदी बहुत पसंद हैं. बापू सत्ता में कभी किसी पद पर नहीं रहे लेकिन मोदी तो गुजरात के सीएम थे और 7 वर्षों से देश के पीएम हैं. 

    जब इतना विरोधाभास है तो मोदी की बापू से तुलना कैसे की जा सकती है?’’ हमने कहा, ‘‘किसी को पहचानने के लिए अंतदृष्टि और श्रद्धा होनी चाहिए. बंगाल के चुनाव के समय लंबी दाढ़ी बढ़ाने के बावजूद मोदी में ममता बनर्जी को गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर के दर्शन नहीं हुए. इसके विपरीत सच्ची आस्था रखनेवाले राजनाथ सिंह ने मोदी में महात्मा गांधी के दिव्य दर्शन कर लिए.’’