ब्लैक या व्हाइट कैसा भी धन, हर नोट में होता गांधी दर्शन

Loading

पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, हमारी गांधी दर्शन में दिलचस्पी बढ़ गई है. इस संबंध में कुछ मार्गदर्शन कीजिए.’’ हमने कहा, ‘‘आप कौन से गांधी का दर्शन करना चाहते है? सोनिया गांधी या राहुल गांधी, मेनका गांधी या वरुण गांधी? राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा का दूसरा चरण शुरू करनेवाले हैं तब उनका दर्शन कर लीजिएगा. यदि बहुत जल्दी पड़ी है तो दिल्ली चले जाइए.’’

पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, दर्शन से हमारा तात्पर्य फिलासफी या तत्वज्ञान से है. हम गांधी के विचारों को जानना चाहते हैं.’’

हमने कहा, ‘‘जरूर जानिए मना किसने किया है? मनमोहन सिंह जब तक प्रधानमंत्री रहे, सोनिया गांधी के विचार जानकर उनकी सहमति से ही कदम उठाते रहे. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे भी सोनिया और राहुल गांधी का संकेत मानते हैं.’’

पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, हम महात्मा गांधी की बात कर रहे हैं. क्या रिचर्ड एटनबरो की पुरानी फिल्म ‘गांधी’ देखने से हमें सत्य, अहिंसा, अपरिग्रह, स्वदेशी जैसे सिद्धांत समझ में आ जाएंगे?’’

हमने कहा, ‘‘आपको बहुत पहले गांधी में दिलचस्पी लेनी चाहिए थी. गांधी के नाम पर कोई संस्था या ट्रस्ट खोलते, नकली खादी बेचते और मालामाल हो जाते. कितने ही लोगों ने यही सब किया. यह नाम मजे से भुनाने लायक है. गांधी-नेहरू के नाम पर कई दशकों तक सत्ता का वाउचर भुनाया जाता रहा. कितने ही गांधी भक्तों को महात्मा गांधी के माता-पिता का नाम भी मालूम नहीं है. वे 2 अक्टूबर और 30 जनवरी को बापू को श्रद्धांजलि देते हैं और गांधी की तस्वीर फ्रेम में कैद करके रखते हैं.’’

पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, ‘‘अब किसे इतनी फुरसत है कि झूठ और दुष्प्रचार के युग में महात्मा गांधी की आत्मकथा ‘सत्य के प्रयोग’ पढ़े या उनके साबरमती और सेवाग्राम आश्रम जाए. हम तो पर्स से नोट निकालकर उसमें गांधी दर्शन कर लेते हैं. मनी ब्लैक हो या व्हाइट, नोट पर महात्मा गांधी हमेशा मुस्कुराते दिखाई देते हैं. यह नोट शराब की दूकानों से लेकर रेडलाइट एरिया तक चलता है. कर्मकांड से रिश्वत तक इसी का इस्तेमाल होता है.’’