जो बोएगा वही तो काटेगा आतंक के कांटे पाक को ही चुभेंगे

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पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने पाकिस्तान को हिदायत दी है कि वह जैसा बोएगा वैसा ही काटेगा. अगर पाकिस्तान को जरा भी समझ है तो वह आतंकवादियों को भेजना और कश्मीर में अशांति फैलाना बंद कर दे. कनाडा के समान पाकिस्तान भी खालिस्तानियों को बढ़ावा देता रहा है.’’

हमने कहा, ‘‘पाकिस्तान को सचमुच समझना चाहिए कि बोया पेड़ बबूल का तो आम कहां से होय! आतंकवाद का बबूल बोने से कांटे उसे भी चुभेंगे. आतंक प्रायोजित करने का खामियाजा उसे भुगतना पड़ेगा. उसने आतंकवाद को ज्यादा हवा दी तो भारत भी सर्जिकल स्ट्राइक से उसके आतंकी कैम्प तबाह कर देगा. पाकिस्तान ऐसी हरकतों से अपने पैर पर कुल्हाड़ी मार रहा है. ऐसा भी कह सकते है कि वह अपना पैर जानबूझकर कुल्हाड़ी पर मार रहा है.’’

पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज पाकिस्तान बैर भुलाकर भारत से दोस्ती क्यों नहीं करता? अगर पड़ोस में रहना है तो तमीज से रहे. कई वर्ष बाद उसकी क्रिकेट टीम भारत आई और हैदराबाद में अपने स्वागत से चकित हो गई. मेहमान बनकर आओगे तो खातिरदारी करेंगे, दुश्मनी निभाओगे तो अंजाम भुगतोगे.’’

हमने कहा, ‘‘दोस्ती इतनी आसान नहीं होती. इसके लिए दिलों का मिलना जरूरी है. पाकिस्तान हमेशा भारत से द्वेष करता आया है.’’

पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, फिल्म में भी हीरोइन पहले हीरो से नफरत करती है फिर उसका दिल पिघल जाता है. क्या पड़ोसी देशों के रिश्ते पर जमी बर्फ भी कभी पिघलेगी?’’

हमने कहा, ‘‘इतना जान लीजिए कि जैसे ही बर्फ पिघलती है, आतंकवादियों की घुसपैठ और तेज हो जाती है. दोस्ती हमेशा बराबरीवालों से होती है. विद्वान किसी मूर्ख से और धनवान किसी टुटपुंजिए से दोस्ती नहीं करता. फिल्मी पर्दे पर दिखाई जानेवाली दोस्ती भूल जाइए. चीन और पाकिस्तान की दोस्ती देखकर समझ जाइए कि दुर्जनों से जल्दी तालमेल होता है जबकि सज्जनों में मुश्किल से एकता हो पाती है.’’

पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, हमारा लक्ष्य शांति स्थापना से जुड़ा है. पाकिस्तान का कोई इलाज नहीं है क्योंकि उसे आतंक और अशांति ही पसंद है.’’