happy-birthday-mahendra-singh-dhoni-mahi-turns-41-today-here-are-some-iconic-moments-of-his-cricket-career

    Loading

    नई दिल्ली: भारतीय टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी (Mahendra Singh Dhoni Birthday) आज अपना 41वां जन्मदिन मना रहे हैं। धोनी को कप्तान कुल, माही के नाम से भी जाना जाता है। महेंद्र सिंह धोनी के देश के अलावा विदेश में भी कई फैंस हैं। उनके खेलने का अंदाज़ और शांत स्वभाव लोगों का दिल जीत लेता है। धोनी ने इंटरनेशनल क्रिकेट से संन्यास ले लिया है। लेकिन, उनकी फैन फॉलोइंग कम नहीं हुई है।

    आज भी लोग माही (MS Dhoni) का जन्मदिन बड़े धूमधाम के साथ मनाते हैं। वहीं, इस साल महेंद्र सिंह धोनी इंग्लैंड में अपने परिवार के साथ अपना 41वां जन्मदिन मना रहे हैं। महेंद्र सिंह धोनी ने भारतीय क्रिकेट टीम को एक नयी पहचान दी है। वह क्रिकेट इतिहास से सबसे कामयाब कप्तान (MS Dhoni Is Successful Captain In Cricket History) की श्रेणी में आते हैं। उन्होंने टीम की कमान संभालते हुए कई ट्रॉफी भारत को जिताई। तो चलिए आज उनके जन्मदिन के अवसर पर जानते हैं उनके बारे में कुछ खास बातें…

    महेंद्र सिंह धोनी का जन्म 7 जुलाई 1981 को बिहार के रांची (आज झारखंड में मौजूद) में हुआ था। उनका बचपन काफी कठिनाइयों भरा रहा है। उन्हें क्रिकेट में आने के लिए काफी मेहनत करनी पड़ी। क्रिकेट की दुनिया में कदम रखने से पहले वह रेलवे में टिकट चेकर के तौर पर काम करते थे। धोनी नौकरी के साथ क्रिकेट भी खेलते थे। वह कुछ छोटे टूर्नामेंट में हिस्सा किया करते थे। इसी बीच वो दिन आ गया जब उनका सपना पूरा होने वाला था।

    साल 2004 में धोनी ने इंटरनेशनल क्रिकेट में डेब्यू किया था। भारत के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली की अगुवाई में धोनी ने अपना पहला वनडे मैच खेला था। बांग्लादेश के खिलाफ खेले गए मैच में धोनी पहली बार ब्लू जर्सी में नज़र आए थे। हालांकि, इस मैच वह कुछ कमाल नहीं कर पाए और 0 रन पर ही आउट हो गए।

    इसके बाद पाकिस्तान के खिलाफ खेली गई वनडे सीरीज में धोनी की किस्मत बदल गयी। भारत और पाकिस्तान के बीच विशाखापट्टनम में खेली जा रही वनडे सीरीज के दूसरे मैच धोनी ने अपनी शानदार बल्लेबाजी से सबको हैरान कर दिया। धोनी ने सौरव गांगुली की कप्तानी में ताबडतोब बल्लेबाजी की थी। उन्होंने केवल 123 बॉल में 148 रन ठोककर भारतीय टीम का स्कोर 300 के पार पहुंचा दिया। इस शानदार पारी के बाद भारतीय टीम में उनकी जगह पक्की हो गई। यह उनके करियर का 5वां वनडे मैच था।

    साल 2005 में महेंद्र सिंह धोनी ने श्रीलंका के खिलाफ शानदार बल्लेबाजी करते हुए सबको हैरान कर दिया था। जयपुर में भारत और श्रीलंका के बीच वनडे मैच खेला गया था। इस मैच में धोनी ने 183 रनों की पारी खेली थी। यह उनके वनडे करियर का आज तक का सबसे ज्यादा स्कोर है।

    टी-20 वर्ल्ड चैंपियन

    साल 2007 में पहली बार टी20 वर्ल्ड कप खेला जा रहा था। वहीं, तब भारत के कप्तान की कमान धोनी के हाथों में थी। उनकी कप्तानी में भारत ने वर्ल्ड कप जीतकर इतिहास रच दिया। भारत ने फाइनल में पाकिस्तान को करारी शिकस्त देकर टी20 वर्ल्ड कप 2007 का ख़िताब अपने नाम किया था। 

    2011 में वर्ल्ड चैंपियन

    साल 2011 में वनडे वर्ल्ड कप खेला गया। इस वर्ल्ड कप का भारत बड़ी बेसब्री से इंतजार कर रह रहा था। टी20 वर्ल्ड जीतने के बाद अब धोनी की नज़र वनडे वर्ल्ड कप थी। वहीं, धोनी का यह सपना पूरा हुआ। धोनी की आर्मी ने फाइनल मैच में श्रीलंका को हराकर वनडे वर्ल्ड कप अपने नाम कर लिया। इसके साथ ही धोनी ने नया रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया। कपिल देव के बाद धोनी दूसरे भारतीय कप्तान हैं, जिन्होंने विश्व चैंपियन का यह खिताब अपने नाम किया।

    इस मैच में भारत 275 रन के लक्ष्य का पीछा कर रहा था। जहां सचिन और सहवाग (31 रन पर) ही आउट होकर वापस पवेलियन लौट चुके थे। इसके बाद विराट आउट हुए तो धोनी यहां 5वें नंबर पर बैटिंग पर उतरे। धोनी ने इस मैच में गंभीर के साथ मैच विनिंग साझेदारी निभाई और अपनी टीम को विनिंग सिक्स जड़कर जीत दिलाई। इस मैच में धोनी ने नाबाद 91 रन बनाए थे।

    दोहरा शतक

    साल 2013 में भारत अपनी घरेलू सीरीज में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेल रहा था। इस टेस्ट मैच में धोनी ने कमाल कर दिखाया था। धोनी ने इस मैच में अपने टेस्ट करियर का एकमात्र दोहरा शतक जड़ा। धोनी ने यहां 224 रन बनाए और भारत ने यहां 8 विकेट से जीत दर्ज की।

    अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से लिया संन्यास 

    महेंद्र सिंह धोनी ने पिछले साल 15 अगस्त के दिन अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास ले लिया था। इससे पहले धोनी ने साल 2014 में ऑस्ट्रेलिया दौरे पर अचानक टेस्ट क्रिकेट से संन्यास की घोषणा कर दी थी। उन्होंने अपना आखिरी अंतरराष्ट्रीय मैच जुलाई 2019 में न्यूजीलैंड के खिलाफ विश्व कप (सेमीफाइनल) में खेला था। इस मैच में भारत को हार का समाना करना पड़ा था।