Ravindra Jadeja, Anirudh Singh, Rivaba Jadeja
रविंद्र जडेजा अपने पिता व पत्नी के साथ

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नवभारत डेस्क : भारतीय क्रिकेट टीम के ऑलराउंडर खिलाड़ी रविंद्र जडेजा के परिवार में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। उनके पिता अनिरुद्ध सिंह जडेजा ने एक मीडिया इंटरव्यू में अपने पारिवारिक रिश्तों की चर्चा की है और कहा है कि रविंद्र जडेजा अपनी बीवी के इशारे पर चल रहा है और उसे अब हम लोगों की जरूरत नहीं है। इसीलिए वह अपने बेटे बहु से अलग रहते हैं और पत्नी की पेंशन से ही अपना घर परिवार चलाने की कोशिश करते हैं।

 रविंद्र जडेजा की विधायक पत्नी रिवाबा पर तमाम तरह के आरोप लगाते हुए उनके पिता अनिरुद्ध सिंह ने कहा कि उनकी बहू को सिर्फ पैसे से मतलब है। वह हम लोगों से कोई रिश्ता नहीं रखना चाहती। एक मीडिया इंटरव्यू में उन्होंने दिल खोलकर अपनी बात की है और पूरे परिवार की स्थिति के बारे में चर्चा की है।

Ravindra Jadeja, Anirudh Singh, Rivaba Jadeja
रविंद्र जडेजा का पुराना मकान

 अनिरुद्ध सिंह ने कहा कि वह जामनगर के एक फ्लैट में अकेले रहते हैं। इस फ्लैट में आज भी रविंद्र जडेजा के नाम का एक कमरा है, जिसमें वह शादी के पहले रहा करता था। आज भी वहां पर उसके कुछ कपड़े और मैच में जीती गई ट्राफियां रखी हुई हैं, जिनको देखकर अपना दिल बहलाने की कोशिश करते हैं।

ससुराल वालों की है दखल 
 रविंद्र जडेजा के पिता अनिरुद्ध सिंह जडेजा कहते हैं कि 5 साल में उन्होंने अपनी पोती का चेहरा नहीं देखा है। परिवार के लोगों से उसे दूर रखने की कोशिश की गई है। रिवाबा हम लोगों से कोई मतलब नहीं रखती। वह अपने माता-पिता के ही संपर्क में रहती है। रविंद्र की सास सब कुछ संभालती है। उसका परिवार में बहुत ही अधिक दखल है। जिससे रिश्ते खराब होते जा रहे हैं।

 अनिरुद्ध सिंह जडेजा ने कहा कि उनके पास गांव की एक जमीन है तथा पत्नी की 20 हजार पेंशन आती है, उसी से पूरे परिवार का खर्च चलता है। घर में दो बीएचके का एक फ्लैट है, जिसमें अकेले रहते हैं और मेड से खाना बनवाकर अपनी जिंदगी गुजारते हैं।

Ravindra Jadeja, Anirudh Singh, Rivaba Jadeja
रविंद्र जडेजा का कमरा

चौकीदारी करके बना दिया खिलाड़ी 
 अनिरुद्ध सिंह जडेजा ने रवींद्र जडेजा के बचपन को याद करते हुए कहा कि मैं तो उसे आर्मी अफसर बनना चाहता था, लेकिन उसकी मां के कहने पर ही उसे क्रिकेटर बनने का फैसला किया। इसके लिए न सिर्फ उसकी बहन ने मदद की बल्कि मैं खुद भी उसके कपड़े तक धोए। रविंद्र जडेजा को क्रिकेटर बनने के लिए चौकीदारी भी करनी पड़ी, लेकिन मुझसे ज्यादा मेहनत उसकी बहन नयनाबा ने की, जो उसकी छोटी बड़ी हर चीजों का ख्याल रखती थी और रविंद्र जडेजा के क्रिकेटर बनने में उसका बहुत बड़ा योगदान है। 

अनिरुद्ध सिंह जडेजा ने कहा कि परिवार की आजीविका चलाने का एक साधन होटल ‘जड्डूस’ भी है, जिसका मैनेजमेंट उनकी बेटी ने नयनाबा करती है। रिवाबा के व्यवहार से पूरे परिवार में फूट पड़ गई। रिवाबा चाहती थी कि शादी के 1 महीने के भीतर होटल का मालिकाना हक उसके नाम कर दिया जाए। इसी बात को लेकर परिवार में झगड़ा शुरू हुआ, फिर नयनाबा ने फोन करके होटल रिवाबा के नाम करने को कहा। सोचा कि इस बात को रविंद्र जडेजा खुद संभाल लेगा, लेकिन बात नहीं बनी और परिवार में लोग अलग होते चले गए।

Ravindra Jadeja, Anirudh Singh, Rivaba Jadeja
रविंद्र जडेजा अपनी पत्नी के साथ

मैं उसका पिता हूं वह मेरा पिता नहीं 
 अनिरुद्ध सिंह ने कहा कि उसके ससुराल वाले अपने आप को बिजनेसमैन कहते हैं, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं है। उनका परिवार आज भी रेलवे क्वार्टर में रहता था, जो कुछ दिन पहले रविंद्र जडेजा के दो करोड़ रुपए लगाकर एक नया बंगला खरीदा है। अनिरुद्ध सिंह अपने बेटे की हरकतों को याद करते हुए आज भी रोने लगते हैं। उनकी आंखों में आंसू आ जाते हैं। उन्होंने कहा कि अब वे रविंद्र को  फोन नहीं करते। मुझे इसकी जरूरत भी नहीं है। मैं उसका पिता हूं वह मेरा पिता नहीं है। अगर मैं उसे कॉल नहीं करता तो वह भी मुझे कॉल नहीं करता है। मैं इसी दुख में रोता रहता हूं। रक्षाबंधन के दिन उसकी बहन भी रोती है। अब आपस में कोई रिश्ता वैसा नहीं दिखाई देता है।

Ravindra Jadeja, Anirudh Singh, Rivaba Jadeja
रविंद्र जडेजा अपनी मां को याद करते हुए

ऐसी है उम्मीद 
 अनिरुद्ध सिंह जडेजा ने कहा कि जब रविंद्र के माता की मौत हुई थी तो रविंद्र केवल 17 साल का था। घर के किचन में आग लगने से उनकी मां का निधन हो गया था। उसके बाद से उन्होंने अपने तीनों बच्चों को पालने में कोई भी समस्या नहीं होने दी। वे अपनी बदहाली को छुपाना नहीं चाहते थे। मेहनत मजदूरी करके उसे क्रिकेटर बना दिया है। अब मेरे भाग्य में जो लिखा है उसको जी रहा हूं। लेकिन उनको आज भी उम्मीद है कि अगर बेटे को बाप की जरूरत होगी तो वह एक दिन हमारी सुध लेने के लिए लौटेगा।