17 साल पहले सिडनी टेस्ट में सचिन ने ठोकी थी डबल सेंचुरी, कवर ड्राइव के शहंशाह तेंडुलकर ने क्यों नहीं लगाई थी एक भी कवर ड्राइव शॉट, जानिए इसकी वजह

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    -विनय कुमार

    क्रिकेट की दुनिया के महान बल्लेबाज मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंडुलकर (Sachin Tendulkar) की खासियत थी कि वे मुकाबलोंनके दौरान हालातों के हिसाब से बल्लेबाजी करने में महारथ हासिल किए हुए थे। अपने स्वाभाविक बल्लेबाजी के अलावा सचिन के पास मैच की स्थिति को परखकर अपने अपने गेम को बदलने की गज़ब काबिलियत थी उनमें। 

    गौरतलब है कि सचिन तेंडुलकर ने जब इंटरनेशनल क्रिकेट में कदम रखा था,  उस वक्त वे एक बड़े ही आक्रामक बल्लेबाज थे। इसके के  दशक में उन्होंने अपनी बल्लेबाजी में बदलाव लाया और ज्यादा से ज्यादा रन बनाने पर अपना ध्यान लगाया था।

    अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट का इतिहास इस बात का गवाह है कि सचिन तेंदुलकर ने ज्यादातर मौकों पर ऑस्ट्रेलिया (Australia) पाकिस्तान (Pakistan) और साउथ अफ्रीका (South Africa) के खिलाफ बेहतरीन बल्लेबाजी की थी। गौर किया जाय तो तस्वीर साफ है कि उन्होंने अपने अंतरराष्ट्रीय करियर में डोमेस्टिक ग्राउंड्स के साथ-साथ विदेशों में भी दुनिया के महाघातक गेंदबाजों को जानकर धोया और उनकी बल्लेबाजी हावी रही।

    हालांकि, सचिन तेंडुलकर (Sachin Tendulkar) ने टेस्ट क्रिकेट में साल 2003 की दूसरी छमाही में एक खराब दौर से भी गुजरे थे। उसके बाद ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेली गई सीरीज के जनवरी 2004 में सिडनी टेस्ट मैच (India vs Australia Sydney Test Sachin Tendulkar 2004) से पहले  वे बिना कोई सेंचुरी के टेस्ट मैचों की 13 पारियां खेल चुके थे। 

    इतिहास बताता है कि मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंडुलकर (Sachin Tendulkar) इस मैच से पहले कई बार ऑफ स्टंप के बाहर जाती गेंदों को खेलने के चक्कर मे आउट हुए। इनसे सबक लेते हुए सचिन तेंडुलकर सिडनी क्रिकेट ग्राउंड पटल जब 2004 में टेस्ट मैच खेलने उतरे तब उन्होंने कुछ ऐसा करने की ठानी जो उन्होंने कभी नहीं की थी। उन्होंने अपना ट्रेडमार्क शॉट  कवर ड्राइव (cover drive Sachin Tendulkar) नहीं खेलने का फैसला किया।

    रिजल्ट इतिहास बन गया। उस टेस्ट मैच में तेंडुलकर ने 241 रनों की  नाबाद पारी खेली थी। यह उनके टेस्ट करियर में दूसरा बेस्ट स्कोर रहा। सिडनी के मैदान में सचिन तेंडुलकर की वह डबल सेंचुरी उनके लंबे टेस्ट करियर की सबसे मुश्किल पारियों में से एक कही जाती है। 2 जनवरी 2004 की वह दोहरे शतक वाली पारी इतिहास में एक मिसाल बन गया। इस मैच में कवर ड्राइव नहीं खेलने का वह फैसला आज के उन खिलाड़ियों के लिए सबक है, जो कई बार एक ही तरह के शॉट खेलने के चक्कर में आउट होते रहे हैं।