two tigers at Madhav National Park in Shivpuri

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भोपाल. मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने प्रदेश में शिवपुरी जिले के माधव राष्ट्रीय उद्यान (एमएनपी) में बाघों को फिर से बसाने के प्रयास के तहत शुक्रवार को एक बाड़े में बाघ और बाघिन को छोड़ा।

वन विभाग के अधिकारियों ने यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि बाघ को पिछले साल अक्टूबर में भोपाल में मौलाना आजाद राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एमएएनआईटी) के विशाल परिसर में भटकने के बाद पकड़ा गया था। वहीं एमएनपी में छोड़ी गई बाघिन को बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व से लाया गया है।

बाघ को एमएएनआईटी से पकड़ने के बाद अक्टूबर में सतपुड़ा बाघ अभयारण्य में छोड़ा गया था और उसके बाद उसे वहां से एमएनपी लाया गया है। अधिकारियों ने कहा कि एक और बाघिन को एमएनपी में छोड़ने की योजना पर काम नहीं हुआ क्योंकि इसे पन्ना बाघ अभयारण्य में पकड़ा नहीं जा सका। संयोग से ज्योतिरादित्य सिंधिया के पिता पूर्व केंद्रीय मंत्री माधवराव सिंधिया की जयंती के अवसर पर बाघ और बाघिन को एमएनपी में स्थानांतरित किया गया है। एमएनपी उनके पूर्वज माधवराव सिंधिया के नाम पर है।

अधिकारियों ने कहा कि चौहान और सिंधिया ने पिंजरे के लीवर को खींच कर दोनों पशुओं को बाड़े में छोड़ा। एमएनपी में कुल दो नर और तीन मादा बाघों को स्थानांतरित किया जाएगा। एमएनपी के निदेशक उत्तम शर्मा ने ‘पीटीआई भाषा’ को बताया कि बाघ और बाघिन को छोड़ दिया गया है। इन जानवरों को कुछ समय के लिए अलग अलग बाड़ों में रखने के बाद एमएनपी के जंगल में छोड़ दिया जाएगा जो कि 375 वर्ग किलोमीटर इलाके में फैला हुआ है।

अधिकारियों ने कहा कि यह तीसरी बार है जब मध्य प्रदेश वन विभाग द्वारा एक वन्यजीव अभयारण्य में बाघ को फिर से लाया गया है। उन्होंने कहा कि एमएनपी में वर्तमान में कोई बाघ नहीं है। उन्होंने कहा कि इससे पहले पन्ना बाघ अभयारण्य और सागर के नौरादेही वन्यजीव अभयारण्य में सफलतापूर्वक बाघों को बसाया जा चुका है।

बृहस्पतिवार को पत्रकारों से बात करते हुए, केंद्रीय मंत्री सिंधिया ने कहा था, “27 साल पहले एमएनपी में बाघों की दहाड़ शांत हो गई थी”। वन अधिकारियों के अनुसार एमएनपी में बाघों के लिए अच्छा शिकार उपलब्ध है इसलिए बाघों को यहां फिर से बसाने के कार्यक्रम को केंद्र द्वारा मंजूरी दी गई है। उन्होंने कहा कि इन बाघों में रेडियो कॉलर लगाये जाएंगे।

बाघों को जंगल में छोड़ने के बाद उन पर नजर रखने के लिए तीन दलों का गठन किया गया है। अतिरिक्त प्रधान वन संरक्षक (वन्यजीव) सुभरंजन सेन ने कहा कि एक जमाने में एमएनपी में कई बाघ हुआ करते थे लेकिन 2010 के बाद से एमएनपी और उसके आसपास के इलाके में कोई बाघ नहीं देखा गया है। वन्यजीव विशेषज्ञों ने कहा कि एमएनपी में मुख्य तौर पर शिकार के कारण बाघ खत्म हो गए।

रिपोर्ट के अनुसार, 2010-2012 में कुछ समय के लिए राजस्थान के बाघ एमएनपी के आसपास घूमते थे। शिवपुरी की सीमाएं श्योपुर जिले से लगती हैं, जहां कूनो नेशनल पार्क है, जो नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से लाए गए 20 चीतों के लिए एक नया घर है। (एजेंसी)