Chatrapati Shivaji Maharaj,
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    नई दिल्ली/मुंबई. महाराष्ट्र कि शिंदे सरकार (Maharashtra Government) ने अब ब्रिटेन से मराठा गौरव वीर छत्रपति शिवाजी महाराज की ‘जगदंब’ तलवार के साथ ही वह ‘वाघनख’ भी मांगने का फैसला किया है, जिससे शिवाजी महाराज (Chhatrapati Shivaji Maharaj) ने बीजापुर के सरदार अफजल खान को मौत के घाट उतारा था। 

    सुधीर मुनगंटीवार कर सकते है एलान 

    इस बाबत महाराष्ट्र के सांस्कृतिक कार्य मंत्री सुधीर मुनगंटीवार (Sudhir Mungantiwar) आज यानी मंगलवार को सुबह इस संबंध में ब्रिटेन की सुनक सरकार के साथ किया गया पत्राचार प्रेस को जारी कर सकते हैं। वहीं मामले पर सरकार के सूत्रों कि मानें तो, विक्टोरिया अलबर्ट म्यूजियम में रखी तलवार तो मांगी जाएगी ही, साथ ही शिवाजी महाराज का ऐतिहासिक वाघनख (बाघ के नाखून जैसा हथियार) भी मांगा जाएगा।

    क्या है ‘वाघनख’ का इतिहास 

    इतिहास में झांके तो पता चलेगा कि, अफजल खान का वध शिवाजी महाराज के इतिहास का एक बड़ा ही महत्वपूर्ण अध्याय माना जाता है। दरअसल बीजापुर सुल्तान के सरदार ने छत्रपति महाराज को बातचीत के बहाने जान से मारने के लिए बुलवाया था। यह घटना 9 नवंबर साल 1659 की है। तब इस बैठक में शिवाजी महाराज अपने बचाव के लिए ‘चिलखत’ पहनकर गए थे और दायें हाथ की उंगलियों में ‌उन्होंने अपना चुस्त ‘वाघनख’ पहना हुआ था। 

    बताया जाता जाता है कि जैसे की अफजल खान ने जैसे ही उन्हें मारने को खंजर निकाला, शिवाजी महाराज ने वाघनख से उनका शरीर चीरकर उनकी अंतड़ियां तक बाहर निकाल ली थीं। इस वार से ही अफजल खान तुरंत ही अपने प्राण-पखेरू गँवा बैठा था.  

    कहां है ‘वाघनख’

    ‘waghnak’ नाम से यह भी तलवार की तरह लंदन के विक्टोरिया अल्बर्ट म्यूजियम में आज भी सुरक्षित है।यहां के  साउथ एशिया सेक्शन के कमरा नंबर 41 में प्रदर्शित एक्जिबिट नंबर O134202 पर यह जानकारी दर्ज है। साथ रखी चमड़े की पेटी पर दर्ज है कि यह प्रख्यात हथियार का उपयोग मराठा नेता शिवाजी ने अफजल खान की हत्या करने के लिए किया था।

    क्यों है राजनीतिक रूप से जरुरी  

    दरअसल शिवाजी महाराज के कथित अपमान को विपक्ष ने BJP को घेरने की रणनीति बनाई है। ऐसे में शिवाजी महाराज की तलवार और उनके वाघनख को आजादी के 75 साल वापस लाने का श्रेय BJP की शिरकत वाली एकनाथ शिंदे सरकार को मिलेगा, जबकि शिंदे भी खुद मराठा हैं।

    बीते दिनों ऐतिहासिक प्रतापगड किले के निचले हिस्से में बनी अफजल खान की दरगाह को यहां के सरकारी अफसरों ने नष्ट कर दिया था। हालांकि इस पर BJP यह कहती रही कि बीती सरकार के दिए प्रोत्साहन के बिना अफजल खान की इतनी बड़ी मजार बनाना यहां बिल्कुल भी मुमकिन नहीं था।