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अमरावती. आगामी 8 अप्रैल को नामांकन वापस लेने के बाद चुनाव की स्थिति स्पष्ट हो जाएंगी. अब तक सभी उम्मीदवार अपने प्रचार कार्यालय का शुभारंभ तथा पदाधिकारी व कार्यकर्ताओं से मेल मिलाप कर रहे हैं. फिलहाल चुनाव मैदान में भले ही 56 प्रत्याशी हैं. उसमें से अनेक अपना नामांकन आगामी सोमवार को वापस ले लेंगे. फिर भी प्रमुखता से कांग्रेस के बलवंत वानखेड़े, भाजपा से नवनीत राणा, प्रहार से दिनेश बूब, रिपाई के डॉ.राजेंद्र गवई सहित कुछ निर्दलीय चुनाव मैदान में डटे रहेंगे. रिपब्लिकन सेना के आनंदराज आंबेडकर की स्थिति स्पष्ट नहीं.

पंजा 25 वर्षों बाद चुनाव मैदान में
इस बार चुनाव में विशेष रूप से कांग्रेस का पंजा तथा भाजपा कमल चुनाव चिन्ह के साथ मैदान में आमने-सामने उतर रहा है. वर्ष 1991 में देश की प्रथम महिला राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने पंजे पर चुनाव लड़ा था. उसके बाद इस निर्वाचन क्षेत्र से युति के तहत चुनाव लड़ता रहा. इस बार 25 वर्षों बाद कांग्रेस अपने चुनाव चिन्ह पर मैदान में उतरी है. इसके चलते कांग्रेस कार्यकर्ताओं में जोश है. विशेष मेलघाट तथा ग्रामीण क्षेत्रों में पंजा चुनाव चिन्ह काफी चिर परिचित है. मेलघाट के मतदाताओं में पंजे को लेकर आत्मियता है.

BJP पहली बार कमल चुनाव चिन्ह पर
पहली बार बीजेपी कमल चुनाव चिन्ह पर मैदान में उतरी है. अभी तक यह निर्वाचन क्षेत्र भाजपा शिवसेना युति के तहत शिवसेना के पास ही था. तीन बार अनंत गुढे तथा दो बार आनंदराव अडसूल यहां से विजयी रहे. पहली बार यहां से कमल कमल चुनाव चिन्ह पर भाजपा मैदान में उतरने से पक्ष के कार्यकर्ताओं में खुशी है. वहीं पर पार्टी में हाल ही में शामिल सांसद नवनीत राणा को उम्मीदवारी देने से भाजपा कार्यकर्ताओं में मानसिक रूप से जोश नजर नहीं आ रहा.

कडू का अधूरा सपना
अचलपुर विधानसभा क्षेत्र से गलत 20 वर्षों से विधायक बच्चू कडू को वर्ष 2004 में प्रहार संगठन से लोकसभा चुनाव लड़ा था. तब उन्हें पराजय का सामना करना पड़ा था. अब वह अधूरी इच्छा पूरी करने हेतु प्रहार संगठन से दिनेश बूब को मैदान में उतारा है. कडू-राणा के बीच राजकीय प्रतिद्वंद्वीता सर्व विदित है.इसके चलते इस बार उन्होंने बूब के लिए पूरी ताकत लगाने का मन बना लिया है.

राणा-पोटे के बीच गुप्त बैठक
भाजपा शहर अध्यक्ष विधायक प्रवीण पोटे तथा प्रत्याशी नवनीत राणा एवं विधायक रवि राणा के बीच कैंप स्थित पोटे के कार्यालय में शनिवार को दोपहर करीब 2 घंटे गुप्त बैठक हुई. सिर्फ इन्ह तीनों के बीच संभवत इस बैठक में भाजपा पदाधिकारी तथा कार्यकर्ताओं को चुनाव में सक्रिय करने तथा चुनाव की रणनीति तैयार करने को हुई. विशेष भाजपा से नवनीत राणा की टिकट घोषणा होने के पूर्व पोटे ने निर्दलीय सांसद राणा के बीच खुलकर मोर्चा खोला था. हालांकि नवनीत का भाजपा में प्रवेश तथा उम्मीदवारी के पश्चात पोटे सारे मतभेद भुलाकर सक्रिय हो गए हैं.

सोशल मीडिया का उपयोग अधिक
चुनाव मैदान में उतरे राजनीतिक पार्टियों के उम्मीदवारों ने अपने विरोधियों के खिलाफ सोशल मीडिया पर जोरदार प्रहार कर रहे हैं. इसके लिए उम्मीदवारों की सोशल टीम सक्रिय हो गई है. विरोधियों पर डिजिटल माध्यम से हमला किया जा रहा है. कार्टूंस, मिम्स बनाकर खिल्ली उड़ाई जा रही है. अब प्रत्याशियों के पास सिर्फ प्रचार करने हेतु सिर्फ 20 दिनों का समय है. इसलिए आरोप-प्रत्यारोप ,पक्ष की बाजू विपक्ष पर प्रहार के कलात्मक चित्रों के साथ पोस्ट वायरल की जा रही है. कुछ ही समय में पोस्ट चारों ओर फैल जाने के कारण इसका उपयोग बढ़ गया है.