अमरावती में आदिवासी समाज ने निकाला मोर्चा, धनगर समाज को ST में आरक्षण देने का किया विरोध

Loading

अमरावती. आदिवासियों के अधिकारों के आरक्षण में किसी नए भागीदार की आवश्यकता नहीं है. धनगर एक जाति है जनजाति नहीं. अगर सरकार ने धनगरों को अनुसूचित जनजाति में शामिल किया तो आदिवासी तीव्र आंदोलन करेंगे, ऐसी चेतावनी सकल आदिवासी संघर्ष समिति ने दी है. आदिवासियों की विभिन्न मांगों को लेकर सोमवार को शहर के नेहरू मैदान से विभागीय आयुक्त कार्यालय तक विरोध मार्च निकाला गया. इस समय सैकड़ों आदिवासी बंधुओं ने आंदोलन में भाग लिया.

राज्य में पिछले कुछ दिनों से धनगर समुदाय के लोग धनगरों को अनुसूचित जनजाति आरक्षण देने के लिए पूरे राज्य में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. दो दिन पहले धनगर नेता गोपीचंद पडलकर ने भी आरक्षण की मांग को लेकर तिवसा में एक सार्वजनिक बैठक की थी. लेकिन अब धनगर आरक्षण के खिलाफ प्रदेश भर के आदिवासी समुदाय रोष निर्माण हो गया है. आदिवासी संघर्ष समिति ने जन आक्रोश मार्च निकालकर चेतावनी दी कि अनुसूचित जनजाति के साढ़े सात फीसदी आरक्षण के अधिकार में किसी और की दखलअंदाजी आदिवासी बर्दाश्त नहीं करेंगे.

नेहरू मैदान से हुई थी आंदोलन की शुरूआत

आंदोलन की शुरुआत राजकमल चौक स्थित नेहरू मैदान से की गई. आंदोलन में सैकड़ों महिलाएं और युवा शामिल हुए. इस समय मोर्चा में सरकार विरोधी नारे लगाकर धनगर आरक्षण का समर्थन करने वाले जन प्रतिनिधियों का भी विरोध किया गया. आदिवासियों के मुताबिक, धनगर समुदाय अनुसूचित जनजाति के मानदंडों को पूरा नहीं कर पाने के बावजूद आदिवासियों को बार-बार परेशान कर रहा है. धनगर एक जाति है और उन्हें भटकायत जाति एनटीसी से 3.5 प्रतिशत आरक्षण प्राप्त है.

तीव्र आंदोलन की दी चेतावनी

संभागीय आयुक्त को दिए गए बयान में चेतावनी दी गई कि अगर धनगरों ने अनुसूचित जनजाति में घुसपैठ की तो आदिवासियों द्वारा तीव्र आंदोलन किया जाएगा. मोर्चे का नेतृत्व अर्जुन युवनाते, रोहित झाकर्डे, पवन वाढवे, सोम सोलंके, लक्ष्मण सोलंके, कमल उइके, शंकर शिरसाग, महेंद्र कोडापे, ऋषिकेष लाव्हरे, पवन सोलंके, पवन चांदेकर, श्रवण उइके, नितिन नामुर्ते, संदीप कुमरे ने किया.