औरंगाबाद : स्थानीय महानगरपालिका (Municipal Corporation) में ठेका पद्धति (Contract System) काम करने वाले कर्मचारियों (Employees) की ठेकेदार द्वारा काफी प्रताड़ना की जा रही है। ठेेका पद्धति पर काम कर रहे हर कर्मचारी को किमान वेतन कानून के अनुसार वेतन दिया जाए। अन्यथा न्यायालय का दरवाजा खटखटाया जाएगा। यह चेतावनी राष्ट्रीय श्रमिक आघाड़ी के अध्यक्ष यशवंत भोसले ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए दी। उन्होंने ठेका पद्धति पर कामगारों के चयन के लिए नियुक्त एजेंसी द्वारा कामगारों के वेतन में हर महीने 2 करोड़ रुपए का भ्रष्टाचार होने का आरोप भी लगाया।
भोसले ने महानगरपालिका में ठेका पद्धति पर काम कर रहे कर्मचारियों के विविध प्रशनों पर महानगरपालिका कमिश्नर और प्रशासक डॉ. अभिजीत चौधरी से मुलाकात कर अपनी मांगों का ज्ञापन सौंपा। उसके बाद पत्रकारों से बातचीत करते हुए भोसले ने महानगरपालिका में ठेका पद्धति पर काम कर रहे कर्मचारियों के वेतन में हर महीने 2 करोड़ रूपए का भ्रष्टाचार होने का आरोप लगाया। बता दे कि महानगरपालिका ने कुछ सालों पूर्व ठेका पद्धति पर कर्मचारियों की नियुक्ति की नीति स्वीकारी है। विविध एजेंसियों द्वारा महानगरपालिका में ठेेका पद्धति पर नियुक्त कर्मचारी काम कर रहे है।
कर्मचारियों के वेतन में 7 से 8 गुना का अंतर
इन कर्मचारियों से महानगरपालिका प्रशासन द्वारा कई महत्वपूर्ण काम कराकर लिए जा रहे हैं। इसके बावजूद उन्हें मामूली वेतन एजेंसी द्वारा अदा किया जाता। समान काम समान वेतन नीति का विचार करने पर स्थायी कर्मचारी और ठेका पद्धति पर काम करने वाले कर्मचारियों के वेतन में 7 से 8 गुना फर्क है। भोसले ने आरोप लगाया कि ठेकेदार उसके द्वारा नियुक्त कर्मचारी से 50 हजार रुपए तक की डिपॉजिट रकम भी लेता है। अंत में भोसले महानगरपालिका प्रशासन को चेताया कि आगामी दो सप्ताह में ठेेका पद्धति काम करने वाले कर्मचारियों को किमान वेतन देने के बारे में निर्णय ले। वरना, संगठन द्वारा न्यायालय का दरवाजा खटखटाने की चेतावनी भोसले ने दी।