छावनी परिषदों को महानगरपालिका में विलय के प्रयास तेज, राज्य सरकार ने जारी किए आदेश

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    औरंगाबाद : केंद्रीय रक्षा मंत्रालय (Union Ministry of Defence) ने हाल ही में देश भर के छावनी परिषदों (Cantonment Councils) को उन शहरों के महानगरपालिका (Municipal Corporation) में विलय करने को लेकर महाराष्ट्र सरकार (Government of Maharashtra) के मुख्य सचिव को पत्र भेजा है। रक्षा मंत्रालय के पत्र के बाद राज्य सरकार ने राज्य भर में स्थित औरंगाबाद, अहमदनगर, देहु रोड पुणे, कैम्प पुणे, कामठी नागपुर, खडकी पुणे, देवलाई नाशिक की छावनी परिषदों उन शहरों में स्थित महानगरपालिकाओं में विलय करने को लेकर कवायद शुरु की है। रक्षा मंत्रालय के आदेश के बाद राज्य के नगर विकास विभाग ने राज्य के सभी 7 छावनी परिषदों के सीईओ को पत्र लिखकर विलय को लेकर विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। राज्य सरकार द्वारा उठाए गए कड़े कदम से जल्द ही औरंगाबाद छावनी परिषद का भी महानगरपालिका में विलय होने के आसार है। 

    छावनी परिषद के सूत्रों ने बताया कि 23 मई 2022 को भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय के उप निदेशक राजेश कुमार शाह ने राज्य के मुख्य सचिव के नाम एक पत्र दिल्ली के सेना भवन से जारी किया। उसमें उन्होंने छावनी परिषदों का महानगरपालिका में विलय करने के बारे में उल्लेख किया है। इस पत्र में रक्षा मंत्रालय ने राज्य सरकार से अपनी भूमिका स्पष्ट करने की बात कहीं थी। उप निदेशक राजेश कुमार के पत्र के बाद राज्य सरकार ने महाराष्ट्र में स्थित 7 छावनी परिषदों को संबंधित शहरों के महानगरपालिका में विलय लिए कवायद तेज कर दी है। राज्य के मुख्य सचिव ने राज्य भर के सभी 7 छावनी परिषद  के सीईओ के नाम 8 जुलाई 2022 को पत्र जारी कर विलय को एक लेकर एक विस्तृत रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए। 

    छावनी की सभी कर्मचारी भी होंगे महानगरपालिका में मर्ज 

    छावनी परिषद के सूत्रों ने बताया कि रक्षा मंत्रालय द्वारा छावनी बोर्ड को महानगरपालिका में विलय को लेकर जारी किए गए आदेश में छावनी परिषद में कार्यरत सभी कर्मचारी महानगरपालिका में मर्ज होंगे। कर्मचारियों को महानगरपालिका में मर्ज करते समय छावनी परिषद की उनकी सेवा सुरक्षा कायम रहेगी। वह सेवा सुरक्षा बरकरार रहेगी। विशेषकर, छावनी की अग्निशमन सेवा भी बिना मुआवजा महानगरपालिका में शामिल होगी। छावनी परिषद की इमारत महानगरपालिका उस परिसर के कार्यालय के लिए पर्यायी व्यवस्था होने तक बिना मुआवजा इस्तेमाल करेगी। वहीं, जब तक वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की जाती तब तक छावनी परिषद के नागरिकोंं को पेयजल आपूर्ति व्यवस्था की जाएगी। वैकल्पिक व्यवस्था निर्माण होने के बाद महानगरपालिका उस परिसर में पेयजल आपूर्ति करेगा। 

    संपत्तियां भी होंगी महानगरपालिका में विलिन 

    छावनी परिषद परिसर में दी जाने वाली सुविधाएं, संपत्तियों का भी महानगरपालिकामें में विलय किया जाएगा। इसको लेकर टिप्पणी भी रक्षा मंत्रालय ने राज्य सरकार को सौंपे पत्र में की है उसमें छावनी परिषद के अंतर्गत स्थि भूमि और अचल संपत्तियां शामिल रहेगी। उसमें लीज होल्ड और पुराने मालिकाना हक वाले संपत्तियां शामिल रहने की बात स्पष्ट की गई है। इसके अलावा छावनी परिषद को प्राप्त होने वाले निधि को लेकर पत्र संरक्षण मंत्रालय ने स्पष्ट सूचनाएं की है। 

    कुछ क्षेत्र का होगा विलय 

    उधर, छावनी परिषद के सूत्रों ने बताया कि राज्य भर के छावनी परिषद का कुछ हिस्सा ही महानगरपालिका में विलय हो सकता है। वहीं, छावनी परिषद भी बरकरार रहेगी। छावनी बोर्ड के सूत्रों ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा छावनी परिषद के सीईओ को विलय को लेकर मांगी गई रिपोर्ट पर राज्य भर के कई सीईओ ने चुप्पी साध ली है। छावनी के आला अधिकारियों का मानना है कि हम रक्षा मंत्रालय के एक पार्ट है। रक्षा मंत्रालय ने राज्य सरकार को आदेश दिए है। विलय के बारे में जो रिपोर्ट तैयार करनी है, इस पर राज्य सरकार ने ही निर्णय लेना चाहिए। जिसके चलते राज्य सरकार द्वारा विलय को लेकर महाराष्ट्र भर के सीईओ से मांगी रिपोर्ट पर कोई हलचल छावनी परिषद स्तर पर न होने की जानकारी सूत्रों ने दी है।