
भंडारा. कोरोना महामारी के संबंध में लगाए गए प्रतिबंध में रियायत देने के बाद राज्य में सभी तरफ लालपरी का परिचालन शुरू हो गया है, लेकिन अभी भी बहुत से स्थानों पर पूरी क्षमता के साथ एसटी बसें नहीं चल रही हैं. अगर भंडारा विभाग की बात करें तो यहां कुल 466 बसें हैं, जिनमें से 264 एसटी बसें ही परिचालन में हैं. जबकि 202 बसें अभी-भी डिपो में ही आराम फरमा रही हैं.
वर्तमान में भंडारा विभाग के 6 डिपो से अनेक मार्गों की बसें चल रही हैं. इससे एसटी बस से सफर करने वाले यात्रियों को राहत तो मिली ही है, साथ ही एसटी की तिजोरी भी भरी है.
आमदनी अठन्नी खर्चा रुपया
ग्रामीण क्षेत्रों में भी आवश्यकतानुसार बसें शुरू करने की जानकारी मिली है. भंडारा के एसटी विभाग के कार्यालयीन विभागीय यातायात अधिकारी डा. चंद्रकांत वडस्कर ने बताया कि यात्री तथा मार्ग के अनुसार फिलहाल बसें चलायी जा रही है. आमदनी अठन्नी खर्चा रुपया की रणनीति के विपरीत आय के अनुसार बसों का परिचालन किया जा रहा है. 657 में 636 चालक तथा 579 कंडक्टर में से 551 कार्यरत है. भंडारा डिपों की बसें अपने गंतव्य की ओर हर दिन रवाना की जा रही है.
अनेक मार्गों पर नहीं चल रही बसें
जिले में लालपरी फिर से दौड़ने लगी हैं. अभी तुमसर, पवनी, साकोली तथा लाखांदूर मार्ग पर बसें चल रही हैं. इस वजह से इस क्षेत्र में जाने वाले यात्रियों ने राहत की सांस ली है. लेकिन डोंगरी (बुज), भंडारा-विरली, भंडारा- कवलेवाडा, भंडारा-रोधा इन क्षेत्रों में अभी-भी एस टी बस नहीं चल रही हैं. बस न होने की वजह से लोगों को निजी वाहन का सहारा लेना पड़ रहा है.
वर्तमान में एक या दो फेरियां
कुछ गांवों में कोरोना महामारी की दस्तक से पहले दो-तीन फेरी होती थीं, लेकिन वर्तमान में एक या दो फेरी हो रही है. बस न होने की स्थिति में भंडारा से चिखली गांव जाने वाले लोगों को भारी परेशानी उठानी पड़ रही है. कहा जा रहा है कि आने वाले दिनों में ग्रामीण क्षेत्रों में बसों का परिचालन शुरू हो जाएगा.
लोगों का कहना है कि लोगों की परेशानी को देखते हुए डिपो में खड़ी 202 बसों में से कुछ बसों का परिचालन शुरू होना जरूरी है. बसों की देखरेख पर होन वाले खर्च, पेट्रोल खर्च तथा मरम्मत को ध्यान में रखते हुए उतनी ही बसें सड़कों पर उतारी गई हैं, जितनी जरूरी हैं.
लोगों की परेशानी तथा एसटी की आय दोनों के बीच समन्वय करके फिलहाल बसों को चलाया जा रहा है, इसलिए अभी इस बात के प्रबल आसार हैं कि डिपो में खड़ी बसों के रास्ते पर उतरने में वक्त लगेगा, लेकिन वक्त कितना लगेगा, इसके बारे में खुले तौर पर कुछ भी नहीं कहा जा सकता.