Crop Loss by Rain
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भंडारा. इन दिनों खेतों में रबी की फसल लगी है. वन्य जीव खेतों में घुसकर फसलों को नुकसान पहुंचा रहे है. जिले में घने जंगल में बाघ, तेंदुआ, भालू, लोमड़ी, भेड़िया जैसे हिंसक और शाकाहारी जीवों का मुक्त विचरण होता है. इसलिए, पिछले कुछ वर्षों में मानव-वन्यजीव संघर्ष की घटनाएं बढ़ी हैं. अप्रैल 2023 से मार्च 2024 की अवधि के दौरान मानव जीवन को हानि, चोट, पशु क्षति, फसल क्षति के 6,788 मामले सामने आये. इसके लिए वन विभाग ने पीड़ितों को 7 करोड़ 52 लाख 27, 306 रुपये की सहायता दी है. इसमें मानव मृत्यु के 4 मामलों में 75 लाख रुपये की सहायता प्रदान कर दी गई है.

मानव घायल के 119 मामलों में 63,16,576 रुपये, पशुधन मृत्यु के 599 मामलों में 74,84,580 रुपये, पशुधन घायल के 17 मामलों में 1,07,426 रुपये और फसल क्षति के 6,049 मामलों में 5,38,18,724 रुपये की सहायता दी गई. कुल मिलाकर 6,788 मामलों में 7,52,27,306 रुपये की सहायता वन विभाग ने प्रभावित किसानों को प्रदान की है.

जंगली जानवर के हमले से किसी व्यक्ति की मौत होने पर वन विभाग की ओर से नये जीआर के अनुसार मृतक के परिवार को 25 लाख रुपये दिये जाते हैं. भंडारा वन विभाग ने पुराने जीआर के अनुसार हताहतों के 4 मामलों में 75 लाख रुपये की सहायता प्रदान की है. इनमें से 2 मामले पिछले वित्तीय वर्ष और 2 मामले इस वित्तीय वर्ष के हैं. जून 2023 में पवनी वन क्षेत्र में बाघ के हमले में गुडेगांव निवासी सुधाकर सीताराम कांबले और खातखेड़ा निवासी ईश्वर सोमा मोटघरे की मौत हो गई थी. उनकी पत्नियों को तत्काल 10-10 लाख रुपये की सहायता दी गई. जंगली जानवरों के हमले से घायल होने, स्थायी रूप से विकलांग होने जैसी तमाम घटनाओं का सामना करना पड़ता है. 2023-24 की अवधि के दौरान जंगली जानवरों के हमलों से घायल होने के 119 मामले सामने आए. प्रभावितों को 63,16,576 रुपये दिये गये.

जानवरों के झुंड घूसते खेतों में

जंगली सूअर, हिरण, चीतल, सांभर जैसे शाकाहारी जानवर खेतों में घूसते हैं. इन जानवरों के झुंड हरी फसलें चर जाते हैं. जंगली सूअर जैसे उपद्रवी और आक्रामक जानवर किसानों पर हमला भी करते हैं. इससे मानव वन्यजीव संघर्ष की स्थिति पैदा होती है. फसलों को सबसे ज्यादा नुकसान जंगली जानवरों से होता है. किसानों को मिलने वाला मुआवजा नुकसान की तुलना में बहुत कम है. इसके लिए महीनों इंतजार करना पड़ता है. वन क्षेत्र से सटे खेतों में किसानों को लगातार हो रहे नुकसान के कारण कृषि भूमि को परती रखने की नौबत किसानों पर आ गयी है.

पशुधन की क्षति

अभयारण्य और जंगल के आसपास के गांवों में पशुधन हानि की घटनाएं भी बड़े पैमाने पर होती हैं. यहां तक ​​कि जब जंगल और अभयारण्य क्षेत्रों में चराई प्रतिबंधित है, तब भी किसान अपने पशुओं को जंगल में चराने के लिए ले जाते हैं. इसलिए जंगली जानवरों के हमलों में कई जानवर मारे जाते हैं. कुछ जानवर घायल हो जाते हैं. इसके अलावा सुरक्षित आश्रय स्थल उपलब्ध होने से जंगल में जंगली जानवरों की संख्या में वृद्धि हुई है. तेंदुए, लोमड़ी, भेड़िये जैसे अधिकांश मांसाहारी जानवर जंगल के पास के गांवों में जा रहे हैं और घरेलू पशुओं पर हमला कर रहे हैं. गाय, बछड़ा, बैल, बकरी, मुर्गी जैसे घरेलू पशुओं की मृत्यु और घायलों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है. जनवरी से मार्च के बीच पशुधन मृत्यु के 119 मामले सामने आए. इसमें से वन विभाग ने पशुपालकों को 63,16,576 रुपये की सहायता प्रदान की है.

रैपिड रेस्क्यू टीम गठित

मानव वन्यजीव संघर्ष से बचने के लिए निम्नलिखित उपाय किये गये हैं. भंडारा वन विभाग ने मानव अधिकारों के टकराव को रोकने के लिए रैपिड रेस्क्यू टीम (रैपिड रेस्क्यू टीम) का गठन किया है. तदनुसार कर्मचारियों को प्रशिक्षित किया गया है. उक्त टीम मानव वन्य जीव संघर्ष के दौरान मौजूद रहकर स्थिति को संभालती है. भंडारा वन विभाग के माध्यम से केंद्र प्रायोजित योजना के तहत कुल 430 किसानों और बाघ परियोजना के तहत 30 किसानों को सौर कंपाउंड वितरित किए गए. कुल 460 किसानों को सोलर फेंसिंग दी गयी. इस वजह से यह जंगली जानवरों से फसलों को होने वाले नुकसान को रोकने का प्रयास हो रहा है.

जंगल में ही पानी उपलब्ध

वन क्षेत्र में वन्य जीवों को पानी उपलब्ध कराने के लिए जल एवं मृदा संरक्षण कार्य के अंतर्गत तालाब एवं वन तालाबों का निर्माण किया गया. इस वन विभाग में 110 प्राकृतिक जल निकाय एवं 480 कृत्रिम जल निकाय बनाये गये. जलयुक्त शिवार अभियान के तहत 325 जल संरक्षण कार्य किये गये हैं. वन्यजीवों को गांवों में जाने से रोकने का यह प्रयास है.