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    लाखनी. जुलाई माह में लगातार बादल छाए रहने के कारण धान की फसल पर खोडकिडा का प्रकोप बढा है. शुरू बरसात में खोडकिडा का प्रकोप नजर नहीं आने के कारण इसका प्रकोप तेज हो गया है. किसान नियंत्रण के लिए रासायनिक और जैविक कीटनाशकों का छिडकाव करने की कोशिश कर रहे है.

    जुलाई के पहले सप्ताह में पूरी की गई धान बुआई पर खोडकिडा का प्रकोप सबसे अधिक दिख रहा है. कुछ  किसानों ने तुरंत ध्यान दिया. लेकिन बारिश नहीं रुकने के कारण नियंत्रण के लिए प्रयास नहीं हो सका. दो दिन  बारिश नहीं हो रही है. इसलिए किसान छिडकाव के लिए तैयार है.

    चुलबंद घाटी में 90 फीसदी धान की बुआई पूरी हो चुकी है. 10 प्रतिशत बुवाई बाकी है और किसान मेहनत कर रहा है. कहीं-कहीं धान की समस्या बनी है. घोडेझरी, विहिरगांव, पाथरी, मरेगांव में आधे से ज्यादा भुखंड गहरे होने से बारिश के कारण रूक गए. सबसे पहले की गई बुवाई में किड की समस्या हो रही है. यदि संभव हो तो कृषि विभाग की ओर से सब्सिडी के आधार पर हर वर्ष कीटनाशक उपलब्ध कराया जाए.

    किडों को नियंत्रण के लिए उपाययोजना करें

    बांध में एक से दो इंच पानी ही रखें. क्लियर और पंछी रूकने का प्रयोग करें. ट्राइकोकार्ड का  इस्तेमाल करें बुआई के तीन दिन पहले और बुआई के बाद एक सप्ताह तक रासायनिक छिडकाव न करें.

    ट्रायकोमगा ज्यापोनिकम परजीवी कीडों को बांध में व्ववस्था किया जाना चाहिए. कृषि अध्ययन कर परजीवी कीटों की संख्या का निर्धारण किया जाना चाहिए. सलाह के अनुसार रासायनिक छिडकाव एवं दानेदार खाद का प्रयोग करें.

    किसान भगवान तरारे ने बताया कि धान बुआई को 22 दिन हो चुके है. लगातार हो रही बारिश और बादल छाए रहने के कारण खोडकीड प्रकोप ज्यादा है. जैविक कीटनाशक छिडकाव का प्रयोग चल रहा है.

    फोटो. 31 जेयुएलवायबीएच लाखनी खेत 

    (संदीप उके)

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