पक्षियों को दाना, मानव को खाना

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भंडारा (का). चीनी विषाणु कोरोना ने सभी को प्रभावित किया है. लॉकडाउन होने से वातावरण प्रदूषण मुक्त हुआ तो नदियों को भी प्रदूषण से मुक्ति मिली. पक्षियों पर कोरोना कहर का कोई असर नहीं पड़ा. उन पर लॉकडाउन का कोई असर नहीं पड़ा. उनकी दाना-पानी के लिए मेहनत जारी रही. कुछ पक्षियों ने घोंसले बनाए तो कुछ ने अपने घोसले में बच्चों के साथ मानसूनी वर्षा का लुफ्त उठाया. लेकिन मानव के लिए लॉकडाउन का समय बहुत कष्टकारी रहा. 25 मार्च से लेकर 31 मई तक का समय भंडारा जिले के लोगों ने बहुत कष्टकारी रहा. स्कूली बच्चे तो अभी- भी घर में ही वक्त गुजार रहे हैं. स्कूलों को खोलने का इरादा सरकार ने दिखाया है और 1 जुलाई से नए शैक्षणिक सत्र शुरु करने की घोषणा भी कर दी गई है. लेकिन माता-पिता अपने बच्चों को स्कूल भेजने के पक्ष में नहीं है.

कोरोना का रोना आखिर कब तक रोया जाएगा, घर में बैठकर काम नहीं चलेगा, हाथ में काम नहीं तो खाएंगे क्या, यह सवाल भंडारा जिले के शहरी तथा ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में उठाया जा रहा है. लॉकडाउन खत्म होने के बाद मजदूरों ने यह उम्मीद जतायी थी उन्हें काम आसानी से मिल जाएगा, जहां से काम छोड़कर गए थे, वहां का मालिक फिर से काम पर बुलाएगा, लेकिन वैसा नहीं होगा. कुछ मजदूरों को यह लगा था कि अपने ही गांव में कुछ काम मिल जाएगा कि कोरोना महामारी ने तो सभी का आर्थिक संकट बढ़ा दिया है, कुछ धनाड्यों ने लॉकडाउन काल में जितना संभव हो सका गरीबों तथा जरूरतमंदों को मदद दी.

लोगों ने प्रघानंमत्री तथा मुख्यमंत्री सहायता कोष में सहायता राशि दान दी है. सभी ने अपनी-अपनी ओर से सहयोग देने की तैयारी दिखायी, ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि कोरोना से खिलाफ जंग में सभी लोग अपनी-अपनी भूमिका निभाई है. ग्रीष्म काल में नर्मिाण कार्य की संख्या अन्य मौसम की तुलना में ज्यादा होती है, ऐसे में ग्रीष्मकाल में ज्यादा से ज्यादा काम पाने के चक्कर मॆं मजदूर रहते हैं.

लॉकडॉउन के दैरान मजदूरों के हाथ से काम चल गया, लॉकडाउन के कारण जिनके हाथों से काम चला गया है, वे अब काम की तलाश में हैं, उन्हें उम्मीद है कि जल्दी ही उन्हें काम मिल जाएगा और पहली की तरह वे अपना जीवन यापन करना शुरु कर देंगे, लेकिन मजदूरों को अभी तक काम नहीं मिला है और वे इस बात को लेकर भंयकर परेशान हैं और सोच रहे हैं कि अगर उन्हें काम नहीं मिला तो उनके समक्ष भुऱमरी का संकट उतपन्न हो जाएगा.