Irrigation by bringing water from bucket, the couple's struggle to save paddy crop
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    भंडारा. किसान अधिक संख्या में उत्पादन लें ताकि उसकी आमदनी बढ सकें. इसके लिए कृषि विभाग नीत नई योजनाएं लेकर आ रहा है. सिंचाई विभाग भी पानी देने का नियोजन करता है. अबकी बार टेकेपार सिंचाई उपविभाग आंबाडी की ओर से किसानों का उत्पादन बढाने के लिए सिंचाई क्षेत्र का दायरा बढा दिया गया है.

    इस बार 2 हजार हेक्टेयर कृषि भूमि में ग्रीष्मकालीन फसल लगाई जा सकें, इसके लिए पानी देने का नियोजन किया गया है. इतने बडे पैमाने पर सिंचाई के लिए पानी देने का नियोजन पहली बार किया गया है. प्रायोगिक तौर पर किए गए इस नियोजन को सफल बनाने के हरसंभव प्रयास किए जा रहे है. अगर यह प्रयास सफल हो गया तो इसके बाद इससे भी अधिक क्षेत्र में पानी देने का नियोजन किया जा सकता है.

    40 गांवों के किसानों को मिलेगा लाभ

    2 हजार हेक्टेयर की फसल को सिंचित करने के नियोजन से लगभग 40 गांवों के निकट की कृषि भूमि में नहर से छोडा गया पानी पहुंचेगा. सिर्फ टेल की कृषि के लिए कुछ दिक्कतें आ सकती है. इसलिए टेल के किसानों को बता दिया गया है कि अगर उन्हे उचित लगे तो ही फसल लगाए. बाद में सिंचाई विभाग में माथे पर दोष न मढे. बताया जाता है कि टेकेपार सिंचाई उपविभाग के तहत लगभग 40 सबमायनर है.इन सब का पूरी तरह से उपयोग किए जाने का नियोजन है.

    पानी वितरण संस्था से काम

    पानी छोडने से पहले पहले से ही बनी पानी वितरण संस्था को काम पर लगाया जा रहा है. टेकेपार सिंचाई उपविभाग आंबाडी के तहत लगभग 20 पानी वितरण संस्था कार्यरत है. हर संस्था की तरफ दो या तीन गांवों की जिम्मेदारी दी जाएगी.ताकि स्थानीय स्तर पर कोई समस्या आए तो यह संस्थाएं गांव में ही इसे संभाल सकें.

    पहले सिर्फ 1200 हेक्टेयर को पानी

    2 हजार हेक्टेयर कृषि भूमि का पानी देने का नियोजन पहली बार किया गया है. इसके पहले सिर्फ 1000-1200 हेक्टेयर में कृषि में लगाई जाने वाली फसलों को पानी दिया जाता था.लगभग इतने ही हेक्टेयर में पानी देने का नियोजन भी किया जाता था. इससे अधिक क्षेत्र में सिंचाई की सुविधा कभी भी उपलब्ध नहीं कराई गई है.

    अगली बार 500 हेक्टेयर का नियोजन बढाएंगे

    टेकेपार सिंचाई उपविभाग आंबाडी के उपविभागीय अधिकारी वंजारी ने बताया कि पहली बार इतने अधिक क्षेत्र की फसलों को पानी देने का नियोजन किया गया है.इसके पूर्व 2 हजार हेक्टेयर के लिए कभी पानी नहीं छोडा गया. अगर यह नियोजन सफल हो जाता है तो निश्चित रूप से अगले वर्ष ग्रीष्मकालीन फसल के लिए वर्तमान के 2 हजार हेक्टेयर और नए 500 हेक्टेयर कुल मिलाकर 2500 हेक्टेयर क्षेत्र में पानी छोडने का नियोजन करेंगे.