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    • बारिश में बिजली गुल होने का प्रमाण बढा

    भंडारा. महावितरण वितरण कंपनी द्वारा साल भर मरम्मत का काम किया जाता है और बारिश शुरू होने से पहले विशेष रूप से मरम्मत का काम जोर-शोर से किया जाता है. इस पर लाखों रुपये खर्च किए जा रहे हैं. लेकिन फिर भी तेज हवा चलने के साथ ही बिजली गुल हो जाती है. आती जाती बिजली की वजह से उपभोक्ताओं को परेशानी हो रही है.

    भंडारा जिले को वनों जिले के रूप में जाना जाता है. यहां की आबादी का बड़ा हिस्सा गांव में रहता है. महावितरण कंपनी का नेटवर्क शहर के साथ-साथ गांवों में भी है. गर्मी के दिनों में बिजली गुल होने के कारण डिमांड एंड सप्लाई का अंतर बताया जाता है. लेकिन बारिश शुरू होते ही बिजली गुल होने की वजह कुछ और ही है.

    मोहाडी उप विभागीय अभियंता सुनील माहुरले के अनुसार गर्मी के दिनों में सिरेमिक इंसुलेटर फैल जाते हैं और बरसात के दिन बारिश होते ही फट जाते हैं. इसलिए मरम्मत का काम करना पड़ता है और इससे बारिश के आरंभिक दिनों में बिजली गुल होने की समस्या अधिक होती है. बाद में यह घटना लगभग खत्म हो जाती है.

    बरसात के आरंभ में निपटाए काम

    तेज आंधी तूफान में टहनियां गिरने की वजह से बिजली आपूर्ति ठप होती है. इसलिए वर्षा ऋतु के प्रारंभ में बिजली की लाइनों पर पेड़ों की कटाई, शाखाओं की कटाई और अन्य कार्य बड़े पैमाने पर किए जाते हैं. बिजली के तारों को पेड़ संपर्क में आने से रोकने से काफी राहत मिल जाती है. इसलिए ये काम बारिश की शुरुआत में किए जाते हैं.

    बिजली गुल होने के कारण हवा चलने से बिजली के तार आपस में टकरा जाते हैं और चिंगारी निकलने से बिजली आपूर्ति ठप हो जाती है. इंसुलेटर फटने से बिजली आपूर्ति ठप हो जाती है. गर्मियों में बिजली की खपत अचानक बढ़ जाती है और डीपी से फ्यूज उड़ाकर बिजली की आपूर्ति ठप होती है. बिजली के झटका लगने पर अपने आप बिजली आपूर्ति ठप हो जाती है.