करोड़ मंजूर होकर भी नहीं बना पुल, रोजाना मौत का खतरा

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ब्रम्हपुरी. तहसील का लाडज गांव वैनगंगा नदी का टापू है. गांव वैनगंगा नदी से चारों ओर से पानी से घिरा हुआ है. गांव के लोगों को शहर जाने के लिए रोजाना मौत का खतरा उठाना पड़ता है. वैनगंगा नदी पर पुल बनाने के लिए करोड़ों रुपये मंजूर हुए, लेकिन अब तक पुल का निर्माण नहीं होने के कारण लोगों के सिर से खतरा नहीं टला है. बारिश के मौसम में यह खतरा और बढ़ जाता है.

नाव से पार करनी पड़ती है नदी
गांव में गर्भवती महिलाओं को समय पर अस्पताल में पहुंचाने में अनेक संकटों का सामना करना पड़ता है. स्कूली विद्यार्थी तहसील  में शिक्षा के लिए जाते हैं. गांव में केवल 6वीं तक ही स्कूल है. आगे की पढ़ाई के लिए उन्हें नाव से नदी पार करनी पड़ती है. लाडज गांव में वर्ष 2016, 2017, 2018 और 2019 में लगातार 4 वर्षों तक बाढ़ आई. जिसमें काफी बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ. सौभाग्य से अब तक किसी भी तरह की जीवहानि नहीं हुई है. यहां 1994 में भी भीषण बाढ़ आई थी. जिसमें बड़े पैमाने पर वित्तीय हानि के साथ-साथ जीवहानि हुई थी. मवेशी मारे गए थे. यहां पुल की मांग तभी से की जा रही है.

लोगों ने किया था चुनाव का बहिष्कार
पुल बनाने की मांग के लिए पिछले लोकसभा चुनाव में लाडज और चिखलगांव के नागरिकों ने चुनाव बहिष्कार भी किया था. जिसके चलते प्रशासन ने यहां पुलिया का निर्माण करने का आश्वासन दिया था. लेकिन उसे अब तक पूरा नहीं किया गया है. जनप्रतिनिधियों ने चुनाव के समय अनेक आश्वासन दिए. सरकार की ओर से पुल निर्माण के लिए करोड़ रुपये की निधि मंजूर की गई. भूमिपूजन भी किया गया, परंतु जनप्रतिनिधि एवं प्रशासन के उदासीनता के कारण अब तक काम की शुरुआत नहीं हुई. अब मानसून भी आरंभ हो चुका है. मौसम विभाग ने इस बार अच्छी बारिश के संकेत दिए हैं. प्रारंभ में बारिश का आगमन भी जोरदारी हुआ है. 

जुलाई-अलग में उफान पर होगी नदी
जुलाई-अगस्त में नदी उफान पर होगी. लाडज गांव के लोगों के मन में अभी से बाढ़ की आशंका घर कर चुकी है. उनके लिए जीवन मरण का प्रश्न है. नदी उफान पर हो, तो नाव से नदी पार करना खतरे से खाली नहीं है. लाडज गांव के लोगों को तहसील स्तर तक जाने के लिए अब कोई विकल्प नहीं है. जोरदार बारिश में गांव का तहसील से पूरी तरह से संपर्क टूट जाता है. इसके बावजूद प्रशासन और जनप्रतिनिधि गंभीर नहीं है. बारिश में संपर्क टूटने से पूर्व यहां एक सुलभ मार्ग उपलब्ध कराने की मांग विद्यार्थी, नागरिक, गर्भवती महिला एवं बीमार महिलाओं ने की है. उपजाऊ भूमि सहित पुनर्वास किए जाने पर ही यहां के ग्रामीण गांव छोड़ने को तैयार है.