गढ़चिरौली-चिमूर लोक सभा सीट महाराष्ट्र की 48 लोकसभा सीटों में से एक है। यह सीट 2002 को गठित भारत के परिसीमन आयोग की सिफारिशों और संसदीय क्षेत्रों के परिसीमन के आधार पर 19 फरवरी 2008 में अपने अस्तित्व में आई।
गढ़चिरौली: महाराष्ट्र (Maharashtra) के 48 संसदीय क्षेत्रों में से एक गढ़चिरौली-चिमूर लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र (Gadchiroli-Chimur Lok Sabha Seat) में 2014 के चुनाव में BJP कब्जा रहा। हालांकि, 2002 को गठित पर जब पहली बार चुनाव हुए थे तो यहां कांग्रेस कदम जमाने में कामियाब रही थी। अब देखना दिलचस्प होगा की 2024 के चुनाव का परिणाम किस पार्टी के हक में होगा।
गढ़चिरौली-चिमूर सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है। इस निर्वाचन क्षेत्र के भीतर विधानसभा की तीन सीटें आती हैं। यह सीट 2002 को गठित भारत के परिसीमन आयोग की सिफारिशों और संसदीय क्षेत्रों के परिसीमन के आधार पर 19 फरवरी 2008 में अपने अस्तित्व में आई थी। अगर यहां के इतिहास की बात करें तो इस सीट पर 2009 में पहली बार चुनाव हुए थे। जिसमें कांग्रेस के मारोतराव कोवासे (Marotrao Kowase) ने यहां कब्जा किया था।
अब तक रह चुका है BJP का कब्जा
गढ़चिरौली-चिमूर लोकसभा सीट पर 2014 के चुनाव में BJP के अशोक महादेवराव (Ashok Mahadeorao) ने जीत हासिल की थी, उन्हें 5,35,982 वोट मिले थे। वहीं कांग्रेस के नामदेव दल्लूजी (Namdev Dalluji) 2,99,112 वोटों के साथ दूसरे नंबर पर रहे थे। साल 2019 में दोबारा इस सीट पर सत्ता कायम रखने में भाजपा को सफलता मिली। 2019 के चुनाव में BJP के अशोक नेते (Ashok Nete) ने कांग्रेस के म्मीदवार नामदेव उसेंडी (Namdeo Usendi) को पछाड़ कर कुल 45.50 प्रतिशत वोट के साथ जीत हासिल की थी।
आदिवासी जातियों का बसेरा है गढ़चिरौली-चिमूर
इस लोकसभा क्षेत्र में 6 विधानसभा क्षेत्रों को समाहित किया गया है, जिनमें आमगांव, अरमोरी, गढ़चिरौली, अहेरी, ब्रह्मपुरी व चिमूर शामिल हैं। गढ़चिरौली जिले और चंद्रपुर जिले की तहसील चिमूर क्षेत्र को इस लोकसभा में शामिल किया गया है। यह क्षेत्र छत्तीसगढ़ राज्य और तेलंगाना राज्य की सीमाओं से जुड़ता है। इस क्षेत्र में कई आदिवासी जातियों के लोग रहते हैं। वनीय क्षेत्र होने के चलते यहां तेंदू पत्ता और महुआ का भारी मात्रा में उत्पादन किया जाता है।