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  • राष्ट्रीय ओबीसी महासंघ का आरोप

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गडचिरोली. अखिल भारतीय स्तर पर के 177 वैद्यकीय महाविद्यालयों में केंद्र के 15 प्रतिशत आरक्षीत जगह में ओबीसीं को 27 प्रतिशत आरक्षण न देते हुए कम से कम जगहों पर ओबीसीं को प्रवेश देने की कुटनिति मेडिकल कौन्सिल ऑफ इंडिया तथा केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय चला रहा है. हर वर्ष ओबीसी के हिस्से में आनेवाले 4 हजार से अधिक जगह पर खुले प्रवर्ग के विद्यार्थियों का कब्जा हो रहा है. ऐसा आरोप राष्ट्रीय ओबीसी महासंघ के उपाध्यक्ष प्रा. शेषराव येलेकर ने किया है. इस मामले में जल्द से जल्द हल निकाले की मांग राष्ट्रीय ओबीसी महासंघ की ओर से जिलाधिकारी के मार्फत आयोग को भेजे गए ज्ञापन से की गई है. 

वैद्यकीय स्नातक व स्नातकोत्तर केंद्र के 15 प्रतिशत आरक्षीत जगह पर ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण देने का कानुन है. शैक्षणिक सत्र 2017-18, 2018-19 तथा 2019-20  में ओबीसीं को 27 प्रश आरक्षण से वंचित रखा गया था. इस वर्ष भी 2020- 21 इस शैक्षणिक सत्र एमबीबीएस की प्रवेश प्रक्रिया अबतक शुरू होनी बाकी है. मात्र स्नातकोत्तर वैद्यकीय अभ्यासक्रम की पहली सुची प्रकाशित हुई होकर उसमें से 66 हजार 333 जगह में से 15 प्रतिशत केंद्रीय कोटे के तहत 9950 जगह आते है. 27 प्रतिशत के तहत ओबीसी को 2578 जगह आना अपेक्षीत था.  मात्र प्रत्यक्ष में 371 जगह (3.8 प्रश) ओबीसीं की हस्सिे में आयी. यानी स्नातकोत्तर वैद्यकीय शक्षिा की 2207 जगह खुले प्रवर्ग के लिए छोडने का दिखाई दे रहा है. इस वर्ष एमबीबीएस का प्रवेश अबतक बाकी है. हर वर्ष ओबीसी की हिस्से की 3 हजार से अधिक जगह खुले प्रवर्ग के लिए छोडे जाने का आरेाप प्रा. शेषराव येलेकर ने किया है. बतां दे कि, अनुसूचित जाती व जनजाति के विद्यार्थियों उनके आरक्षण के तहत अनुक्रम से 15 प्रश व 7.5 प्रश वैद्यकीय स्नातक व स्नातकोत्तर अभ्यासक्रम में प्रवेश मिल रहा है. मात्र ओबीसी को मात्र 27 प्रतिशत आरक्षण मिलने से वंचित रखा जा रहा है. जिससे ओबीसीं में केंद्र सरकार के खिलाफ व्यापक रोष निर्माण हो रहा है. 

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के ओबीसी विरोधी नीती के विरोध में राष्ट्रीय ओबीसी महासंघ ने अब राष्ट्रीय मागासवर्ग आयोग की ओर न्याय की गुंहार लगाई है. इस मामले में जल्द से जल्द हल निकालने की मांग राष्ट्रीय ओबीसी महासंघ की ओर से जिलाधिकारी के मार्फत आयोग को भेजे गए ज्ञापन से की गई है. ज्ञापन सौंपते समय राष्ट्रीय ओबीसी महासंघ के उपाध्यक्ष प्रा. शेषराव येलेकर, प्राचार्य विनायक बांदूरकर, प्रा. देवानंद कामडी, अरविंद बली, पुरुषोत्तम ठाकरे आदि उपस्थित थे.