श्रध्दालुओं को राहत, लेकिन व्यवसायिकों की बढ़ी चिंता; मार्कंडा, चपराला यात्रा को प्रशासन की अनुमति

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    गड़चिरोली: पिछले दो वर्षो से विदर्भ की काशि के रूप में पहचाने जानेवाले चामोर्शी तहसील के मार्कंडा देव में महाशिवरात्रि के उपलक्ष्य में इस वर्ष मेले का आयोजन करने को जिला प्रशासन ने सहमति दर्शायी है। जिससे यात्रा आयोजित होने से श्रध्दालुओं को राहत मिली है, वहीं दुसरी ओर यात्रा स्थल पर छोटे-मोटे दुकान और मनोरंजन साधनों का प्रशासन द्वारा अनुमति नहीं दिये जाने के कारण व्यवसायिकों की चिंता बढ़ गयी है।

    तहसील के मार्कंडादेव व चपराला देवस्थान में महाशिवरात्रि संदर्भ में यात्रा आयोजित करने संदर्भ में अंतिम निर्णय लेने के लिये 16 फरवरी को जिलाधिश संजय मीणा की अध्यक्षता में बैठक का आयोजन किया गया था। इस बैठक में पूर्व सांसद मारोतराव कोवासे, विधायक डा। देवराव होली, जिला पुलिस अधिक्षक अंकित गोयल, जिप के मुख्य कार्यपालन अधिकारी कुमार आशिर्वाद, मार्कंड़ा देवस्थान समिति के अध्यक्ष गजानन भांडेकर, मार्कंडा व चपराला देवस्थान के पदाधिकारी उपस्थित थे। 

    श्रध्दालुओं को सेवा-सुविधा उपलब्ध कराना जरूरी

    1 मार्च से शुरू होनेवाले यात्रा के लिये श्रध्दालुओं को सेवा-सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिये समय काफी कम है। प्रशासन को चामोर्शी-मार्कंडा, फोकुर्डी-मार्कंडा, चामोर्शी-हरणघाट इस मार्ग की मरम्मत करना, श्रध्दालुओं को आवागमन करने के लिये बसेस की सुविधा, पिने के पानी की सुविधा, शिर्शी घाट पर कच्ची सड़क तैयार करने ऐसे अनेक सुविधा समय पर उपलब्ध करनी पड़ेगी। इसके लिये देवस्थान ट्रस्ट, पंचायत समिति, ग्रापं मार्कंडा, राजस्व विभाग, पुलिस विभाग, आपदा प्रबधन समेत सभी विभागों को सुविधा उपलब्ध कराने के लिये कार्य पूर्ण करने पडेंंगे।

    व्यवसायिकों का होगा वित्तीय नुकसान

    लाखों श्रध्दालुओं का श्रध्दास्थान मार्कंडादेव यात्रा पर्व को 1 मार्च से शुरूआत होनेवाली है। लेकिन यात्रा स्थल पर छोटे-मोटे दुकान और मनोरंजन साधन को प्रशासन ने अनुमति नहीं दी है। केवल स्थानीय व्यवसायिकों को यात्रा कालावधि में दुकाने सजाने की अनुमति दी गई है। जिससे श्रध्दालुओं को दर्शन लेकर वापिस जाना पड़ेगा।

    यात्रा के उपलक्ष्य में उपहारगृह, जीवनाश्यक सामग्री की दुकाने सप्ताह भर यात्रा स्थल पर शुरू रहती है। जिसके माध्यम से यात्रियों को वित्तीय लाभ होता है। लेकिन इस वर्ष बाहर के व्यवसायिकों को दुकान लगाने की अनुमति नहीं होने के कारण व्यवसायिकों को वित्तीय नुकसान उठाना पड़ेगा।