बीमारी से चना, लखोरी फसल हो रही प्रभावित, किसान चिंता में

    Loading

    सड़क अर्जुनी. कभी अधिक ठंड तो कभी गर्मी का अहसास वहीं बदतले मौसम के कारण भी किसान परेशान हो गया है. विगत दिनों तहसील के कुछ क्षेत्रों में हुई बेमौसम बारिश व हल्की बूंदाबांदी की वजह से बदलते मौसम के कारण चना व लखोरी की फसल पर इल्लियों का प्रकोप बढ़ा है.

    इसे नियंत्रित करने के लिए किसानों ने कीटनाशक का अधिक उपयोग किया. लेकिन बार-बार छिड़काव का कोई भी लाभ दिखाई नहीं दे रहा है. जिससे उच्च क्वालिटी के व महंगे कीटनाशक अब बेअसर साबित हो रहे है. इसमें विशेषकर चने की फसल पर कीड़े नियंत्रित नहीं हो रहे है.

    जिससे बहु प्रचारित ब्रांड के प्रभावी कीटनाशक पर सवाल खड़े होने लगे हैं. चने की फसल पर बार बार कीटनाशक के छिड़कांव करने के बाद भी कीड़ों पर नियंत्रण नहीं होने से किसानों को आर्थिक नुकसान हो रहा है. जिससे उच्च क्वालिटी के कीटनाशकों पर किसान संदेह करने लगे है. चने की फसल पर कीडे व इल्लियों का प्रकोप शुरू है, वह और आगे न बढ़े इसके लिए किसान ईल्ली नाशक, अंडे नाशक घटक वाले कीटनाशकों का छिड़कांव करते हैं.

    इसी श्रृंखला में बदलते मौसम में अन्य रोगों के लिए भी महंगे कीटनाशकों का उपयोग किया जा रहा है. इसके बाद भी कीड़ों पर नियंत्रण नहीं हो रहा है. इसके विपरित प्रकोप और भी बढ़ रहा है. कृषि केंद्र के संचालक की सलाह के अनुसार कीटनाशकों का प्रयोग किया जाता है. फिलहाल फसल पर मंढरा रहे कीड़ों के प्रकोप को नियंत्रण करना यह खर्च का विषय बन गया है.

    इसमें किसानों को आर्थिक परेशानी हो रही है. लेकिन कीटनाशकों का प्रभाव कुछ दिखाई नहीं दे रहा है. गत वर्ष भी इस प्रकार के प्रभाव से उत्पादन घटा था. इस बार भी वही स्थिति दिखाई दे रही है.

    पिछले कुछ दिनों से विभिन्न कंपनियों के कीटनाशकों का इल्लियों व कीड़ों के लिए बंदोबस्त करने उपयोग किया जा रहा है. किसान बड़ी मात्रा में कीटनाशकों का छिड़कांव कर रहे हैं. इसके बाद भी उन्हें कोई लाभ नहीं मिल रहा है. यदि इसी तरह का मौसम बना रहा तो किसानों को बडी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा.