किसान को 4 वर्ष से नहीं मिली रकम, ग्रापं ने गोठे को बकरी के शेड में बदला

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    गोंदिया. आमगांव तहसील अंतर्गत सुपलीपार स्थित हीरालाल नारायण थेर को महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना के तहत जानवरों का गोठा दिया गया था. लेकिन उस गोठे की आधी रकम पिछले 3 वर्षो से नहीं दी गई है.

    इस रकम के लिए किसान ने आमगांव के खंडविकास अधिकारी, गोंदिया के मनरेगा के 34 मुख्य कार्यकारी अधिकारी व आयुक्त कार्यालय से शिकायत की है. लेकिन उसे अब तक रकम नहीं दी गई है. ग्रापं के पदाधिकारी राजनीतिक कारणों से उसके लाभ के पैसे नहीं दे रहे है. ऐसा आरोप किसान हीरालाल थेर ने लगाया है.

    महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना अंतर्गत जानवरों का गोठा मंजूर किया गया था. उसके निर्माण की कीमत 1 लाख 11 हजार 200 रु. थी. जूनियर इंजीनियर ठाकरे, ग्रापं सचिव डी.एम. भंडारी, सरपंच संगीता उर्फ मृणाली मनोज ब्राम्हणकर, उपसरपंच दिवाकर गणपत चुटे ने मौके पर जाकर जानवरों के गोठे का निर्माण करने के लिए ले आउट दिया. इसी तरह निर्माण करने सरपंच, उपसरपंच व सचिव ने बताया.

    इसके अनुसार निर्माण कार्य किया गया. निर्माण मजदूरों के मस्टर ग्रापं द्वारा भरकर उन्हें 26 हजार 272 रु. दिए. सामग्री खरीदी के 82 हजार 648 रु. के बिल थेर ने स्वयं की जेब से दूकानदार को दिया है. सामग्री खरीदी के लिए खर्च की गई बिल की रकम की मांग सचिव से करने पर उन्होंने बिल निकालने के लिए 10 हजार रु. की मांग की थी.

    ऐसा आरोप थेर ने लगाया है. इतना ही नहीं पैसे नहीं देने पर गाय के गोठे का लाभ बकरी के शेड में ग्रापं ने बदल दिया. सामग्री के बिल की रकम 43 हजार 877 रु. का धनादेश दूकानदार के नाम ग्रापं ने तैयार किया. जबकि वह रकम पूर्व ही स्वयं थेर ने दूकानदार को दी है. इसमें 82 हजार 648 रु. की जगह 43 हजार 877 रु. दिए गए है. जिसमें से केवल 38 हजार 771 रु. दिए ही नहीं गए है. इस संदर्भ में जिप के वरिष्ठ अधिकारियों से शिकायत कर न्याय दिलाने की मांग की गई है.