मुरकुडोह में चुनाव का मतदाताओं ने किया बहिष्कार

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    • मतदान केंद्र से चुनाव की खाली पेटी वापस

    सालेकसा. तहसील के अंतिम छोर पर बसे  हिस्से मे और अतिदुर्गम आदिवासी नक्सलग्रस्त क्षेत्र मुरकुडोह नंबर 3 मे मतदान बूथ पहले ही वहा था लेकिन उसे ग्राम धनेगांव में स्थानांतरित किया गया जो मुरकुडोह से 16 से 17 किमी की दूरी पर है और इतनी दूर से मतदान करने आना संभव नहीं है इसी परेशानी को ध्यान में रखकर सन 2017- 18 में मुरकुडोह वासियों ने चुनाव का बहिष्कार किया था.

    पश्चात शासन के अधिकारी तत्कालीन थानेदार , तहसीलदार व एसडीओ ने ग्राम में ही बूथ स्थापित करने का आश्वासन दिया था और आगामी विधानसभा चुनाव में यदि रोड़ व एओपी बेस कैंप बना तो मुरकुडोह में मतदान केंद्र रहेगा ऐसा बताया गया था लेकिन ग्राम मुरकुडोह दंडारी में रास्ता बनने व एओपी कैंप बनने के बावजूद मतदान बुथ नहीं दिया गया.

    अब पुनः एक बार मुरकुडोह दंडारी के लोगों ने  मतदान का बहिष्कार किया जो सभी नागरिक बूथ के बाहर  खडे रहे लेकिन  किसी ने मतदान नहीं किया और उसके चलते केंद्र अधिकारी और मतदान अधिकारियों को  मतदान पेटी को वापस ले जाना पडा कुछ क्षेत्र के उम्मीदवार  भी इस गांव तक पहूंचे लेकिन  किसी  ने  भी उनकी नही सुनी और मतदान नहीं करने के अपने फैसले पर अड़े रहे.

    जिलाधीश नयना गुंडे ने बताया कि मुरकुडोह गांव का मतदान केंद्र धनेगांव में ही दिया गया है क्यों की पुलिस  विभाग द्वारा इसकी सूचना मिली थी कि वहां  बूथ नहीं दिया जा सकता. इसलिये बूथ को धनेगाव मे ही रखा गया है.

    दरेकसा के सामजिक कार्यकर्ता शंकर मडावी ने बताया कि यह आदिवासी दुर्गम नक्सलग्रस्त क्षेत्र है. यहां के नागरिकों को चुनाव से वंचित रखा गया है और मतदान फिर से होना चाहिए. इसके लिए राज्य चुनाव आयोग का ध्यान आकर्षित किया जाएगा.