Know why tribal farmers took out a front at Dhulia District Magistrates office

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    शिरपुर : यह जमीन किसकी है, यह जमीन किसकी है,  हमारी है, हमारी है, जय जवान, जय किसान, आदिवासी एकता जिंदाबाद इस तरह की नारेबाजी करते हुए हजारों की संख्या में आदिवासी किसान अपने अधिकार की जमीन के लिए सांगवी (Sangvi) से धुले (Dhule) तक 80 किमी पदयात्रा की और धुलिया के जिलाधिकारी कार्यालय (Dhulia District Magistrate Office) पर मोर्चा निकाला और जोरदार नारेबाजी की। जिल्हाधिकारी कार्यालय पर आए आदिवासी किसानों (Farmers) के इस मोर्चे ने सभी का ध्यान इस ओर खींचा। 

    इस मोर्चे की विशेषता यह रही कि इसमें शामिल सभी लोगों ने कानून व्यवस्था के दायरे में रहकर अपनी मांगें पूरी करने के लिए आवाज बुलंद की। आदिवासी वन जमीन धारक किसानों के इस आंदोलन को जिलाधिकारी ने बड़ी गंभीरता से लिया और आंदोलन करने वाले किसानों को आश्वस्त किया कि 15 दिन में उनकी समस्याओं का समाधान कर दिया जाएगा, इस आश्वासन के बाद आदिवासी किसानों ने अपना आंदोलन वापस लिया। शिरपूर तहसील के वनपट्टेधारक किसानों को न्याय देने के लिए महाराष्ट्र किसान सभा और  बिरसा फायटर्स के संयुक्त सहयोग के पैदल मोर्च निकाला गया। वनजमीन अधिनियम कानून बनाकर 14 वर्षे होने के बावजूद आदिवासी लोगों को वनजमीन के बारे में न्याय नहीं मिला, ऐसा आरोप आदिवासी किसानों की ओर से लगाया गया। 

    दोपहर 12 बजे मोर्चा निकालने वाला शिष्टमंडल ने जिलाधिकारी जलज शर्मा को ज्ञापन देकर अपनी मांगों को लेकर लगभग दो घंटे तक चर्चा की।  इस मौके पर जिलाधिकारी जलज शर्मा के अलावा  निवासी उप जिलाधिकारी, वन विभाग, राजस्व विभाग, बिजली मंडल अधिकारी तथा कृषि विभाग के अधिकारी उपस्थित थे।  महाराष्ट्र राज्य किसान सभा के अध्यक्ष राजू देसले, जिलाध्यक्ष एड।  हीरालाल परदेशी, विलास पावरा अध्यक्ष नासिक विभाग बिरसा फायटर्स, किसान सभा सल्लागार, एड. मदन परदेशी,  डॉ.किशोर सुर्यवंशी, अध्यक्ष धुलिया जिला खेत मजदूर, युनियन, एड. संतोष पाटील, बिरसा फायटर्स धुलिया जिलाध्यक्ष वसंत पावरा, सचिव शिरपुर तहसील गेंद्या पावरा आदि ने वन जमीनधारक आदिवासी किसानों की समस्याएं प्रशासन के सामने रखी। 

    15 दिनों में सभी मांगे पूर्ण करने का आश्वासन दिया

    जिलाधिकारी ने 15 दिनों में सभी मांगे पूर्ण करने का आश्वासन दिया।  इस आंदोलन के कारण 50 प्रतिशत लड़ाई, हमने जीत ली है, ऐसी प्रतिक्रिया किसान सभा राज्याध्यक्ष राजू देसले ने दी।  7/12 मिलने तक योजनाओं का लाभ लेने के लिए आवश्यक फार्म जे-फार्म की पूर्ति करके देने में वन विभागा की भूमिका महत्वपूर्ण है।  इन मांगों की ओर ध्यान न दिए जाने पर वनविभाग के खिलाफ तीव्र आंदोलन छेड़ने की चेतावनी भी इस दौरान दी गई।   

    राजकीय रोटियां सेंकने वाले नेता अदृश्य

    धुलिया जिले में सबसे ज्यादा आदिवासी वन जमीन धारक किसान शिरपुर तहसील में हैं।  शिरपुर तहसील में आदिवासी विधायक हैं।  आदिवासी किसान पैदल चल रहे थे, उस वक्त उन्हें विधायक नहीं मिले, अन्य स्थानीय नेता, एनसीपी छोड़कर को छोड़कर किसी भी राजनीतिक दल के नेता मोर्चे निकालने वालों से नहीं मिले, इससे यह दिखाई देता है कि शिरपूर तहसील के आदिवासी समाज का उपयोग सिर्फ और सिर्फ राजनीतिक हितों के लिए किया जा रहा है।   

    जिला प्रशासन का आश्वासन

    वन जमीन गणना होने के बाद जब तक 7/12  नहीं मिलता, तब तक राजस्व और वन विभाग के समन्वय से जे-फॉर्म वन जमीनधारक किसानों को उपलब्ध कराया जाएगा, इस कारण विभिन्न सरकारी योजनाओं का लाभ उन्हें मिलेगा। 

    सरकारी योजनाओं से वंचित हैं आदिवासी

    फसल कर्ज, फसल बीमा, प्राकृतिक नुकसान की भरपाई, किसान सन्मान निधि, गोपीनाथ मुंडे दुर्घटना बीमा योजना, प्रधानमंत्री किसान निधि जैसी योजनांओं से शिरपुर तहसील के आदिवासी किसान वंचित हैं। सात बारह का पूरा लाभ आदिवासी किसानों को मिलना चाहिए, अन्यथा तीव्र आंदोलन छेड़ा जाएगा।

    - वसंत पावरा, अध्यक्ष, बिरसा फायटर्स, धुलिया

    पुलिस दल का विशेष सहयोग

     सांगवी से जिलाधिकारी कार्यालय तक पहुंचने में पुलिस दल उनके साथ रहे। धुलिया शहर में उन्होंने विशेष मदद की, इससे मोर्चा सफल हुआ।  इस बारे में किसान सभा और बिरसा फायटर्स की ओर से पुलिस दल और जिला प्रशासन का आभार माना है।