Vitthal Ranpise Zero vote

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नवभारत डिजिटल डेस्क: लोकसभा चुनाव लड़ रहे एक उम्मीदवार को एक भी वोट नहीं मिला था। आपको यकीन नहीं होगा, लेकिन यह सच है। 1957 में हुए लोकसभा चुनाव में खेड लोकसभा क्षेत्र (Khed Lok Sabha) से निर्दलीय उम्मीदवार विट्ठल रणपिसे (Vitthal Ranpise) को शून्य वोट (Zero vote) मिले थे। यानी उम्मीदवार ने अपना वोट भी खुद को नहीं दिया था। यही कारण है कि यह घटना इतिहास में दर्ज है। 

पुणे की लोकसभा सीटों का इतिहास 
लोकसभा का पहला आम चुनाव 1951 में हुआ था। उस समय पुणे जिले में पुणे मध्य और पुणे दक्षिण ये दो लोकसभा सीट थी। उस समय पुणे मध्य लोकसभा क्षेत्र में तीन लाख 88 हजार 404 मतदाता थे। इनमें से एक लाख 92 हजार 406 मतदाता ने वोट दिया था। खास बात यह कि उस वक्त एक भी वोट खारिज नहीं हुई थी। उस चुनाव में 4 उम्मीदवार थे। जबकि पुणे दक्षिण लोकसभा क्षेत्र में तीन लाख 78 हजार 892 मतदाता थे। इनमें से 47.32 प्रतिशत ने मतदान किया यानी 1 लाख 79 हजार 289 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया।  वहीं पुणे मध्य से नरहर गाडगिल ने 53.37 फीसदी वोट पाकर शेतकरी कामगार पार्टी के केशव राव जेठे को हराया था। पुणे दक्षिण लोकसभा क्षेत्र में कांग्रेस की इंदिरा मायदेव ने करीब 64 फीसदी वोट हासिल कर शेतकरी कामगार पार्टी के श्रीधर लिमये को हराया था। 

1957 में बनी खेद लोकसभा सीट 
लोकसभा के पहले आम चुनाव में पुणे जिले में दो लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र थे, लेकिन उसके बाद यानी 1957 में हुए आम चुनाव के वक्त जिले में पुणे, बारामती और खेड़ नामक तीन लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र बनाए गए। पुणे लोकसभा क्षेत्र से तत्कालीन पुणे मध्य के सांसद नरहर गाडगिल को प्रजा समाजवादी पार्टी के नारायण गोरे ने 20 प्रतिशत अधिक वोट हासिल करके हराया था। बारामती लोकसभा क्षेत्र में शेकाप के केशवराव जेठे ने कांग्रेस से चुनाव लड़कर निर्दलीय अबासाहेब शितोले को हराया था। नवनिर्मित खेड लोकसभा क्षेत्र में ऑल इंडिया शेड्यूल कास्ट फेडरेशन के बालासाहेब सांलुके ने 62.17 प्रतिशत वोट हासिल कर के भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की ताराबाई साठे को हराया। इस चुनाव में निर्दलीय चुनाव लड़ने वाले विट्ठल रणपिसे को एक भी वोट नहीं मिला। यानी उन्होंने खुद को भी वोट नहीं दिया था। 

एक भी वोट खारिज नहीं हुआ
देश की आजादी के बाद लोकसभा का पहला आम चुनाव 1951 में हुआ। उसके बाद दूसरा चुनाव 1957 में हुआ। ये चुनाव मतपत्र (बैलेट पेपर) पर हुए थे। हालांकि, इन दोनों चुनावों में किए गए सभी मतदान वैध घोषित किए गए। यानी एक भी वोट खारिज नहीं हुआ। दिलचस्प बात यह है कि उस समय नोटा का कोई विकल्प नहीं था। 

1957 के चुनाव में उम्मीदवारों को मिले वोट
खेड लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से उम्मीदवार
बालासाहेब सालुके – 105065
ताराबाई साठे – 63942
विठ्ठल रणपिसे – 0

परिसीमन के बाद खत्म हो गई खेड लोकसभा सीट 
1957 में पहली बार अस्तित्व में आयी खेड लोकसभा सीट 2008 तक मौजूद थी, लेकिन 2008 में हुए परिसीमन के बाद इस सीट का वजूद खत्म हो गया। वहीं 2008 में हुए परिसीमन के बाद अब पुणे के उसी क्षेत्र में शिरूर लोकसभा सीट अस्तित्व में आयी है।