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महाराष्ट्र: पिछले सप्ताह हमने आपको महाराष्ट्र के स्कूल प्रबंधन व्यवस्था की गुणवत्ता में गिरावट आने की खबर दी थी। जी हां पिछले सप्ताह केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने शैक्षणिक वर्ष 2021-22 के लिए परफॉर्मेंस ग्रेडिंग इंडेक्स 2.0 यानी पी.जी.आई. जारी किया। जारी हुए इस रिपोर्ट में महाराष्ट्र दूसरे स्थान से सीधे सातवें स्थान पर आ गया है। इस मुद्दे पर एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने राज्य सरकार को पत्र लिखा है। शरद पवार ने चिंता जताते हुए कहा है कि स्कूल प्रबंधन की गुणवत्ता में गिरावट शैक्षिक परंपरा का अपमान है। आइए जानते है क्या है पूरी खबर… 

दरअसल पी.जी.आई. रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि महाराष्ट्र में शैक्षणिक स्तर गिर गया है। जी हां आपको बता दें कि शरद पवार ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और दोनों उप मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर इस पर चिंता जताई है। जिन मापदंडों पर पीजीआई का मूल्यांकन किया जाता है, उसमें हम पिछड़ गए हैं। यह बेहद चिंताजनक है कि महाराष्ट्र ‘पीजीआई’ में पिछड़ गया है। प्रदेश में 38 हजार स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या घट गई है। सरकार को इस पर गंभीरता से ध्यान देना चाहिए। इतना ही नहीं बल्कि शरद पवार ने पत्र में यह भी कहा है कि राज्य सरकार को जल्द ही संबंधित पक्षों की बैठक बुलानी चाहिए और आवश्यक कदम उठाने चाहिए। 

शरद पवार ने पत्र में लिखा 

एक सक्षम शिक्षा प्रणाली से समाज में सुधार होता है। महाराष्ट्र में, अन्नाभाऊ साठे जैसे कई शिक्षाविदों ने इस सिद्धांत को पहचाना और एक कुशल स्कूल प्रणाली के निर्माण को प्राथमिकता दी। हालांकि, आज राज्य में स्कूल प्रबंधन की गुणवत्ता में गिरावट महाराष्ट्र की गुणवत्तापूर्ण शिक्षा परंपरा के लिए शर्म की बात है।

शैक्षणिक वर्ष 2021-2022 के लिए केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा जारी परफॉर्मेंस ग्रेडिंग इंडेक्स 2.0 (पीजीआई) रिपोर्ट के अनुसार, महाराष्ट्र राज्य दूसरे स्थान से सीधे सातवें स्थान पर आ गया है। राज्य के समग्र शैक्षणिक विकास की दृष्टि से यह अत्यंत चिंता का विषय है। जिन मानदंडों के आधार पर यह मूल्यांकन किया जाता है उनमें शैक्षणिक प्रदर्शन और गुणवत्ता, बुनियादी ढांचे, बदलती शैक्षिक प्रक्रिया आदि जैसे मुद्दे शामिल हैं। लेकिन परफॉर्मेंस ग्रेडिंग इंडेक्स 2.0 (पीजीआई) रिपोर्ट के अनुसार, महाराष्ट्र में इन महत्वपूर्ण कारकों को गंभीरता से नहीं लिया जाता है।

इसके कारण हम एक राज्य के रूप में शिक्षा की गुणवत्ता में बहुत पीछे रह गए हैं, जो बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। शिक्षा विभाग, यशवंतराव चव्हाण केंद्र ने पिछले साल कुछ अवलोकन करने के लिए ‘दो शिक्षक स्कूलों के सशक्तिकरण’ पर एक दिवसीय सम्मेलन आयोजित किया था। इसके साथ ही बदलती शैक्षिक नीतियों के मद्देनजर कुछ सुझाव भी दिए गए। राज्य में जिला परिषद के करीब 38 हजार दो शिक्षक स्कूल हैं। ये मुख्य रूप से हवेलियों में स्थित हैं और छात्रों की संख्या कम होने के कारण समय-समय पर इन्हें बंद करने की चर्चा भी होती रहती है, सरकार के लिए इस पर गंभीरता से विचार करना बहुत जरूरी है।

अत: गिरते शैक्षिक स्तर को सुधारने के लिए समय रहते उपाय किये जाने चाहिए। इन सभी मामलों को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार और खासकर स्कूल शिक्षा मंत्री को इस पर गंभीरता से विचार करना चाहिए। इस संबंध में शीघ्र सर्व संबंधितों की बैठक बुलाकर आवश्यक कार्यवाही कार्यक्रम तैयार किया जाए। अपेक्षा है कि शिक्षा की गुणवत्ता को सामने लाने के प्रयास किये जायें।