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    मुंबई. एक तरफ अब  महाराष्ट्र (Maharashtra) में छोटी-बड़ी सभी दुकानों पर बड़े अक्षरों में मराठी में साइनबोर्ड (Marathi Signboard) लगाने को लेकर राजनीतिक दलों में श्रेय लूटने की भयंकर होड़ लग चुकी है। जहाँ इससे व्यापारी सहम चूके हैं और अपनी और अपनी दुकान की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं, वहीं फिलहाल इस पर सब तरफ चिंता का वातावरण है। गौरतलब है कि उद्धव मंत्रिमंडल ने बीते बुधवार को दुकानों के बड़े साइनबोर्ड मराठी में अनिवार्य करने का एक निर्णय किया था।

    इस मुद्दे पर मनसे नेता संदीप देशपांडे ने धमकी भरे लहजे में कहा, “दुकानदार अच्छी तरह से सोच लें कि साइनबोर्ड बदलने का खर्च ज्यादा आएगा या दुकान के कांच बदलने का खर्च ज्यादा होगा।” फेडरेशन ऑफ रिटेल ट्रेडर्स ऐंड वेलफेयर असोसिएशन के अध्यक्ष वीरेन शाह ने कहा, ” हमें अपनी दुकानों के बोर्ड मराठी में लिखने पर कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन फॉन्ट साइज को लेकर जरुर थोड़ी आपत्ति है।” साथ ही अब उन्होंने उद्धव सरकार से इस बारे में दुकानदारों पर दबाव न डालने की भी गुजारिश की है और अपनी दुकान की सुरक्षा की भी मांग रखी है। इसके बाद उनकी दुकान के आसपास पुलिस भी तैनात कर दी गई।

    सरकार खुद उठाए खर्चा 

    वहीं  AIMIM के सांसद इम्तियाज जलील ने ठाकरे सरकार से यह मांग रखी  है कि लॉकडाउन के चलते दुकानदारों का बुरा हाल है। उनकी गुजर-बसर मुश्किल है। ऐसे में वे दुकान के साइनबोर्ड बदलने के लिए पैसे कहां से लाएंगे? साइनबोर्ड बदलने का खर्चा उद्धव सरकार उठाए।”

    संजय राउत का पलटवार 

    इस मुद्दे पर अब  शिवसेना सांसद संजय राउत ने पलटवार करते हुए कहा, “आप महाराष्ट्र में रहते हैं, यहां कारोबार करते हैं और मराठी का ही विरोध करते हैं। इसे कभी भी सहन नहीं किया जाएगा। सांसद जलील को तो कम से कम ऐसी भाषा नहीं बोलनी चाहिए।”