Ashok Chavan and Devendra Fadnavis

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मुंबई: बिहार (Bihar) विधानसभा ने गुरुवार को आरक्षण (Reservation) की सीमा बढ़ाकर 75 प्रतिशत करने का विधेयक पारित कर दिया। अब इसके बाद महाराष्ट्र में भी  इसी तरह की मांग उठने लगी है। पूर्व सीएम अशोक चव्हाण (Ashok Chavan) ने कहा है कि अगर बिहार में यह संभव है तो फिर महाराष्ट्र में क्यों नहीं किया जा सकता है। उन्होंने राज्य विधानमंडल के आगामी शीतकालीन सत्र में महायुति सरकार से महाराष्ट्र में भी आरक्षण की सीमा में ढील देने के लिए कदम उठाने की मांग की है। ताकि मराठा आरक्षण की राह आसान हो सके। 
 
सरकार को करनी चाहिए पहल 
चव्हाण ने यह भी कहा है कि बिहार में बीजेपी पार्टी के विधायकों ने इस बिल का समर्थन किया है। उन्होंने मांग की कि राज्य सरकार को इस संबंध में पहल करनी चाहिए। चव्हाण ने कहा कि कांग्रेस पार्टी पहले ही इस बारे में अपनी स्थिति साफ़ कर चुकी है। हमारी पार्टी देश में जातिवार जनगणना कराने के अलावा आरक्षण की सीमा में छूट दिए जाने के पक्ष में है। पूर्व सीएम ने कहा कि हैदराबाद और नई दिल्ली में हुई कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में भी इसे मंजूरी दे दी गई है। 
 
बिहार से सबक महाराष्ट्र सरकार
महाराष्ट्र में जनता दल के एकमात्र विधायक कपिल पाटिल ने कहा है कि महाराष्ट्र सरकार बिहार के उदाहरण से सीख सकता है। वहां की सरकार ने उच्चतम न्यायालय द्वारा मान्य डेटा प्रदान करने की व्यवस्था कर ली है। जिसके बाद यह संभव हो सका है। उसी तरह मराठों को आरक्षण देने के लिए महाराष्ट्र सरकार को भी आरक्षण की सीमा बढ़ाने के लिए पहल करनी चाहिए। 
 
एकनाथ शिंदे को लिखा पत्र 
कपिल पाटिल ने इस संबंध में सीएम एकनाथ शिंदे को पत्र भी लिखा है। उन्होंने कहा कि संविधान में कहीं भी आरक्षण पर 50% की सीमा नहीं जोड़ी गई है, लेकिन यह सुप्रीम कोर्ट ने किया है। पाटिल ने कहा कि उसी सुप्रीम कोर्ट ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए आरक्षण को स्वीकार कर लिया है जो 50% से अधिक हो रहा है. नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली बिहार सरकार ने  जाति सर्वेक्षण को पूरा कर लिया है। जिसके बाद यह सरकार आरक्षण विस्तार का ट्रिपल टेस्ट पास कर लेगा। लेकिन महाराष्ट्र सरकार अब तक इस तरह का डाटा जुटाने  में विफल रही है।