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मुंबई: धारावी (Dharavi) एशिया की सबसे बड़ी और घनी आबादी वाला क्षेत्र माना जाता है। वर्षों से यहां की जनता विकास की राह देखती रही है। राजनेता और सरकारों ने वादा किया, लेकिन धारावी जस की तस रही। पिछले कुछ महीनों से धारावी के विकास की जिम्मेदारी अडानी (Adani) समूह को दिए जाने से ना सिर्फ धारावी की जनता बल्कि व्यापारी वर्ग के रातों की नींद उड़ गई है, लोग डरे हुए हैं कि उनके उद्योग (Smaal Industry) पर अडानी की लटकती तलवार है। उनमें भय है कि उनका रोजगार विकास के नाम पर बलि चढ़ जाएगा। इसी डर को लेकर कुंभार (Kumbhar) समाज आंदोलन (Protest) की तैयारी कर रहा है।  
 
 
अडानी के विकास पर लोगों को नहीं भरोसा 
धारावी के विकास को लेकर एक तरफ अडानी समूह द्वारा कई तरह के लुभावने वादे किए जा रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ लोगों का कहना है कि किसी का झूठ एक बार ही आजमाया जाता है, लेकिन जो हर बात पर झूठा साबित हो तो उसकी बात का भरोसा नहीं किया जा सकता, विश्व स्तर पर अडानी झूठे साबित हो चुके हैं। 
 
 
व्यापारियों में भय समाया, रातों की नींद उड़ी
धारावी एक औद्योगिक नगरी के तौर पर जानी जाती है, मुख्य रूप से चमड़ा उद्योग जो न सिर्फ भारत बल्कि विश्व भर में मशहूर है, सैलानी जब मुंबई आते हैं मुंबई के धारावी में आने से खुद को नहीं रोक पाते और यहां से चमड़े के बने बैग, बेल्ट, जैकेट, पर्स और कोट लेना नहीं भूलते।
 
 
इसी तरह यहां का कुंभारवाड़ा दुनिया भर में मिट्टी के बर्तनों के लिए जाना जाता है,  गारमेंट्स उद्योग हो या वेफर, चकली, इडली बनाने वाले लोग या यहां चल रहे अन्य सभी उद्योग चलने वालों के भीतर डर समाया हुआ है। धारावी में करीब 250 छोटे-बड़े उद्योग चल रहे हैं और देश के कोने कोने से लोग आकर यहां अपनी रोजी रोटी कमा रहे हैं। इन सभी को ये लग रहा है कि विकास के नाम पर इनका रोजगार पूरी तरह से खत्म हो जायेगा। इसलिए अब ये आंदोलन का मन बना रहे हैं।