100 वें साल से बदल जाएगा लोकल का स्वरुप, मेट्रो को टक्कर देंगी एसी लोकल ट्रेन

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    मुंबई:  देश की आर्थिक राजधानी मुंबई (Mumbai) की लाइफलाइन कही जाने वाली ईएमयू (EMU) अथार्थ लोकल ट्रेन (Local Train) का पूरा स्वरूप बदलने की तैयारी की जा रही है।  वर्ष 1925 में तत्कालीन वीटी स्टेशन से कुर्ला के बीच हार्बर लाइन पर 4 डिब्बों से शुरू हुआ ईएमयू का सफ़र आज एसी लोकल (AC Local )तक पहुंच गया है।  मध्य और पश्चिम रेलवे पर एसी लोकल चलाई जा रही है, हालांकि आम लोकल ट्रेन की 3 हजार से ज्यादा फेरियां लग रहीं हैं। 

    एमआरवीसी के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार,  मुंबई लोकल ट्रेन में सफर को और आसान बनाने के लिए 2023 तक ज्यादा एसी ट्रेन लाई जाएगी।  मेट्रो की तरह  मुंबई में एसी लोकल ट्रेन के लिए जरुरी डिजाइन और विशेषताओं को अंतिम रूप दे दिया गया है।  टेंडर की अंतिम प्रक्रिया पर काम हो रहा है।  नई एसी लोकल ट्रेनों में  बैठने की उन्नत व्यवस्था के साथ यात्रियों के लिए ज्यादा जगह होगी।  नई ट्रेनों में  मेट्रो जैसे इंटीरियर होंगे।  साथ ही  ट्रेनों में लगेज के लिए अलग कंपार्टमेंट भी होंगे।  एक मोटर कोच के साथ वर्तमान 6 डिब्बे एक दूसरे से जुड़कर पूरी ट्रेन को खींचेगें। 

    एयर सस्पेंशन सिस्टम

    मेक इन इंडिया पहल के तहत बनने वाली  ट्रेनों में एयर सस्पेंशन सिस्टम भी होगा।  एयर सस्पेंशन सिस्टम यात्रियों को तेज गति से आरामदायक यात्रा का अनुभव होगा। फिलहाल पश्चिम रेलवे पर चर्चगेट और विरार, मध्य रेलवे पर  सीएसएमटी-कल्याण-बदलापुर  रेलवे स्टेशनों और सीएसएमटी-पनवेल के बीच एसी लोकल ट्रेनें चल रही हैं।   

    238 एसी रेक मिलेंगे

    मुंबई शहरी परिवहन परियोजना (एमयूटीपी) 3ए के तहत 238 एसी लोकल ट्रेनों की खरीद की योजना है।  यह अत्याधुनिक ट्रेनों की खरीद कई चरणों में होगी और जैसे-जैसे नए रेक उपलब्ध होंगे,वैसे-वैसे पुराने साधारण रेक हटा दिए जाएंगे। वैसे अगले एक दशक में मुंबई की पटरियों पर एसी लोकल ही चलाने की योजना रेलवे बोर्ड ने बनाई है। एमआरवीसी के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, एसी ट्रेनों के पहले चरण का ऑपरेशन 2024 के अंत तक शुरू होने  की संभावना है। 

    तेजी से होगा बदलाव

    97 साल से चल रही मुंबई लोकल में काफी बदलाव आया है।  50 के दशक में ईएमयू यूके के मेट्रो-कैमेल, जापान की हिताची, इटली की ब्रेडा और दूसरी कंपनियों से लाई गईं। । कई बदलावों से गुजरते  हुए 2008 में सिमेंस इलेक्ट्रिकल्स वाली रेक आईं। इसके बाद इंटीग्रल कोच फैक्ट्री ने रेक बनाए जो अधिक हवादार और आरामदायक थे । ज्यादातर रेक 12 और कुछ 15 डिब्बे के हो गए हैं।  सेन्ट्रल रेलवे की सर्विस बढ़ कर 1,800 हो गई है, जबकि वेस्टर्न रेलवे पर लगभग  सेवाएं संचालित हो रहीं हैं।