नवभारत डिजिटल डेस्क: पक्षी प्रेमियों (Birds Lovers) की दुनियाभर में कोई कमी नहीं है। ज़्यादातर लोग हर रोज़ पक्षियों को दाना डालते हैं। खासकर कबूतरों (Pigeon) को दाना डालना लोगों को काफी अच्छा लगता है। लेकिन, क्या आप लोग ये बात जानते हैं कि अब कबूतर ही लोगों के जान के दुश्मन (Pigeon Dangerous for Health) बन गए हैं। महाराष्ट्र (Maharashtra) की राजधानी मुंबई (Mumbai) के डॉक्टरों (Doctors) की मानें तो कबूतर से लोगों को दूरी बनाना अब काफी ज़्यादा जरुरी हो गया है, क्योंकि अब कबूतरों की वजह से जान लेवा बीमारियां फैलने लगी हैं।
कबूतरों से रहे सावधान
दरअसल, महाराष्ट्र (Maharashtra) में हाइपरसेंसिटिव निमोनिया (Hypersensitive Pneumonia) और फेफड़ों की बीमारी (lung disease) के मामले लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है। जिसके लिए डॉक्टरों ने कबूतरों को बड़ा जिम्मेदार ठहराया है। पल्मोनोलॉजिस्ट डॉक्टरों का एक समूह है, जिनकी मानें तो कबूतरों के मल और पंख की वजह से ही हाइपरसेंसिटिव निमोनिया जैसी बीमारियां फैल रही हैं। ऐसे में डॉक्टरों की मानें तो लोगों को अब कबूतरों से दूरी बनाकर रहने में ही भलाई है।
कबूतरों की आबादी इंसानों के लिए जानलेवा
मुंबई के विशेषज्ञ की मानें तो उन्होंने सीधे तौर पर मुंबई के कबूतरों की बढ़ती आबादी को इंसानों के लिए जानलेवा कहा है। कबूतरों की बीट में फंगस होता है। जो अगर लंबे समय तक सांस के साथ अंदर जाते हैं, तो वह इम्यून सिस्टम को ख़राब कर सकते हैं। जिसकी वजह से बीमारियां बढ़ सकती है।
कबूतरों की बीट में है फंगस
इतना ही नहीं ठाणे में नगर निगम के अधिकारियों ने कबूतरों को दाना खिलाने को लेकर भी चेतावनी दी है। ठाणे नगर निगम या टीएमसी ने हाल ही में शहर में इस बीमारी के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए कई पोस्टर भी लगाए थे। इसमें बताया गया था कि कबूतरों के मल में पाए जाने वाले बैक्टीरिया और मोल्ड फेफड़ों में सूजन का कारण बन सकते हैं। इतना ही नहीं ये फेफड़ों को पूरी तरह से नष्ट भी कर सकते हैं।
दाना डालने पर लगेगा जुर्माना
मुंबई अपने कबूतरखानों के लिए प्रसिद्ध है। चौपाटी जैसी जगह, बड़े-बड़े फीडिंग, पार्क और मंदिरों के पास अक्सर कबूतरों का झुंड देखने मिलता है। जिन्हें लोग दाना डालना पसंद करते हैं। लेकिन, डॉक्टरों के मुताबिक ये सब करना अब घातक साबित हो सकता है। इतना ही नहीं ठाणे नगर निगम ने अब कबूतरों को दाना डालने पर 500 रूपये का जुर्माना भी लगाया है।
क्या है बीमारी के लक्षण?
हेल्थ एक्सपर्ट्स की मानें तो हाइपरसेंसिटिव न्यूमोनिटिस के लक्षण acute या chronic हो सकते हैं। एक एलर्जेन के आसपास होने के कुछ घंटों के अंदर ही एक्यूट सिमटम दिख सकते हैं। कुछ घंटों या दिनों तक यह बने रहते हैं। दूसरी ओर क्रॉनिक लक्षण धीरे-धीरे बढ़ते हैं, और समय के साथ और भी ज़्यादा हो सकते हैं। लक्षणों में खास कर सांस फूलना, सूखी खांसी, सीने में जकड़न, ठंड लगना, थकान, तेज बुखार, मांसपेशियों में दर्द, कफ और अचानक वजन घटना शामिल है।
हाइपरसेंसिटिव निमोनिया से बचाव के तरीके
डॉक्टरों की मानें तो हाइपरसेंसिटिव निमोनिया से बचाने का तरीका पक्षियों से दूरी बनाना है। डॉक्टरों के अनुसार, फेफड़ों के सूजन का कारण बनने वाली एलर्जी के संपर्क में आने से बचना चाहिए। ज़्यादा पक्षियों वाली जगह जाने से पहले मास्क जरूर लगा लें। साथ ही अपने पालतू जानवरों के रहने की जगहों को हमेशा साफ रखना चाहिए।