Photo Credits-ANI Twitter
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    मुंबई: देश की आर्थिक राजधानी कही जाने वाली मुंबई (Mumbai) में केंद्र सरकार (Central Government) के बजट (Budget) को लेकर लगातार सरगर्मियां बनी रहीं। शेयर बाजार, जवेरी बाजार, कपड़ा मार्केट से लेकर इलेक्ट्रॉनिक्स, राशनिंग और खुले बाजार तक लोग बजट की घोषणाओं पर उम्मीद लगाए बैठे रहे। नौकरीपेशा लोगों की निगाह टैक्स स्लैब (Tax Slab) पर थी, इससे उन्हें निराशा हाथ लगी। स्लैब में कोई बदलाव न होने पर लोग निराश हुए।

     लगातार कई साल से हर बजट में आर्थिक उथल-पुथल और कीमतों में बदलाव के बावजूद सरकार टैक्स स्लैब नहीं बदल रही है। नौकरीपेशा लोग इस बात से नाराज हैं कि उनके वेतन का भारी हिस्सा सरकार टैक्स में काट लेती है। सरसों तेल, मूंगफली तेल, रसोईं गैस, दाल, फल, सब्जी, दूध आदि की कीमतें कम न होने से लोगों में नाराजगी है। 

    कोविड संकट के दौर में कुछ लोग तत्काल राहत पैकेज की आस में थे

    मुंबई के ढेर सारे युवाओं को नौकरी की तलाश है। इस बजट में 60 लाख नई नौकरियों की घोषणा ने इन युवाओं को पुलकित किया है। मुंबई का गरीब तबका 80 लाख घर देने के केंद्र के एलान से अपने लिए भी कुछ उम्मीद करने लगा है। बजट में इकॉनमी और बैंकिंग को डिजिटल करने की योजनाओं से काफी लोग प्रसन्न हैं, लेकिन बहुत से लोग अब भी प्रत्यक्ष लेन-देन को बेहतर मानते हैं। कोविड संकट के दौर में कुछ लोग तत्काल राहत पैकेज की आस में थे। पर ऐसा कुछ इस बजट में नहीं हुआ। इससे वे निराश ही हुए हैं। बजट में दूरगामी परिणाम की योजनाओं पर ज्यादा बल दिया गया है। इसे कुछ लोग ‘हवाबाजी’ मान रहे हैं। जबकि बहुत से लोग इसे सरकार की दूरदृष्टि बताते हैं। कुल मिलाकर केंद्र के ताजा बजट पर आम मुंबईकरों ने मिली जुली प्रतिक्रिया दी है।

    लोक कल्याण के लिए यह दूरदृष्टि वाला बजट है। इसका सीधा लाभ आम आदमी को ही मिलेगा। आधारभूत संसाधनों के विकास, सड़कों के निर्माण, नई रेल चलाने आदि से आम आदमी के रहन-सहन का स्तर बढ़ेगा। इलेक्ट्रॉनिक वस्तुएं, मोबाइल चार्जर, चमड़े की वस्तुएं, सोने और हीरे के जेवरात आदि की कीमतें कम होने से आम आदमी निश्चित तौर पर लाभान्वित होगा। अब आम लोग गहनों की खरीदारी के प्रति आकर्षित होंगे। इससे सोने-चांदी से जुड़े लाखों व्यापारियों को भी लाभ होगा। मैं इस बजट का स्वागत करता हूं।

    - हौसिला प्रसाद गुप्ता, जवेरी बाजार

    पिछले कई साल से टैक्स स्लैब में कोई बदलाव नहीं हुआ है। इस बार के बजट से उम्मीद थी, लेकिन हमें निराशा हुई। गरीबों के लिए 80 लाख घर और बेरोजगारों के लिए 60 लाख नई नौकरियां आम आदमी का हित कर सकती हैं। इसका सीधा लाभ जरूरतमंद आम लोगों को ही मिलेगा। डिजिटल इकोनामी से गैरकानूनी लेनदेन और भ्रष्टाचार रुकेगा यह परेशान आम आदमी के लिए बहुत बड़ी राहत है। यह विकास के अलावा आम आदमी को साथ लेकर आगे बढ़ने वाला बजट है।

    -उमेश देढ़िया, मालाड