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‘अयोग्यता’ फैसले पर संगीन आरोप
नवभारत न्यूज़ नेटवर्क
मुंबई: सीएम एकनाथ शिंदे समेत 16 विधायकों की अयोग्यता पर विधानसभा अध्यक्ष (स्पीकर) राहुल नार्वेकर के फैसले को लेकर पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे अब जनता की अदालत में पहुंच गए हैं। मंगलवार को ठाकरे ने एक प्रेस कांफ्रेंस कर नार्वेकर के फैसले का पोस्टमार्टम किया। पूर्व सीएम के वकील असीम सरोदे ने कहा कि स्पीकर का फैसला सुप्रीम कोर्ट के साथ विश्वासघात है। उन्होंने अयोग्यता के फैसले को लेकर संगीन आरोप लगाए। सरोदे ने कहा कि किसी भी  गुट के विधायकों को अयोग्य घोषित न कर स्पीकर ने शीर्ष अदालत का बड़ा अपमान किया है। इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में उद्धव ठाकरे, आदित्य ठाकरे, तेजस ठाकरे, रश्मि ठाकरे, संजय राउत, भास्कर जाधव, अंबादास दानवे, वकील रोहित शर्मा व  असीम सरोदे मौजूद रहे। 

अनिल परब का वीडियो बम, शिवसेना की बैठक में खुद नार्वेकर थे मौजूद
इस मौके पर ठाकरे गुट के विधायक अनिल परब ने एक बड़ा वीडियो बम फोड़ा। उन्होंने चुनाव आयोग को दिए गए सबूत को लाइव दिखाया। साथ शिवसेना द्वारा किए गए सभी पांच संकल्पों को भी पढ़ें। परब ने संकल्प सभा का एक वीडियो भी दिखाया गया जिसमें शिवसेना प्रमुख के पद पर रोक लगा दी गई थी। इस वीडियो में एकनाथ शिंदे, राहुल नार्वेकर भी मौजूद थे। अनिल परब ने 2018 में पार्टी के अन्दर हर चुनावों के वीडियो भी दिखाए। जब उद्धव ठाकरे को सर्वसम्मति से पार्टी प्रमुख चुना गया था। 

संविधान में विधायक दल का महत्व नहीं
ठाकरे के वकील सरोदे ने कहा कि संविधान के मुताबिक विधायक दल का कोई महत्व नहीं है। लेकिन स्पीकर ने अपने फैसले में विधायक दल के बहुमत को देखते हुए सीएम एकनाथ शिंदे के पक्ष में फैसला सुनाया है। दल-बदल निषेध अधिनियम अनुसूची 10 में आता है। राजनीतिक संबद्धता की राजनीति को अलग रखने के लिए 1985 में एक कानून लाया गया था।  कानून में विधायक दल का कोई महत्व नहीं है। मुख्य राजनीतिक दल महत्वपूर्ण है। मुख्य राजनीतिक दल ही विधायक दल को भी नियंत्रित कर सकता है। उन्होंने यह भी खुलासा किया कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उनके साथ गए सभी  विधायक पार्टी के अस्थायी विधायक हैं। 

 
प्रत्येक नागरिक को विश्लेषण का अधिकार
सरोदे ने कहा कि आज यही वजह है कि हम लोग जनअदालत के माध्यम से अपनी बात कहने के लिए सामने आए हैं। उन्होंने कहा कि आज नानी पालखीवाला का जन्मदिन है, जिनसे सुप्रीम कोर्ट के जजों ने सलाह ली थी। आज उन्हीं को याद कर हम अपनी इस लड़ाई को आगे बढ़ा रहे हैं। प्रत्येक नागरिक को न्यायालय द्वारा अयोग्यता के फैसले पर दिए गए निर्णय का विश्लेषण करने का पूरा अधिकार है। 

सुको ने गोगावले की नियुक्ति को अवैध बताया
वकील सरोदे ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने शिंदे गुट द्वारा मुख्य प्रतोद के पद पर भरत गोगावले की नियुक्ति व उनके व्हिप को अवैध बताया है। जबकि स्पीकर नार्वेकर ने अपने फैसले में गोगावले के व्हिप को वैध करार दिया है। यह पूरी तरह से शीर्ष अदालत का अपमान है। 

नार्वेकर की पत्नी भी इस फैसले को स्वीकार नहीं करेंगी
ठाकरे गुट के प्रवक्ता संजय राउत ने कहा कि स्पीकर नार्वेकर को एक मध्यस्थ की भूमिका निभानी चाहिए थी, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। महाराष्ट्र के इतिहास में इस तरह का एकतरफा फैसला कभी नहीं दिया गया। यहां तक कि नार्वेकर की पत्नी भी मध्यस्थ के इस फैसले को स्वीकार नहीं करेंगी। 

कल कोई अदालत नहीं जाएगा
राउत ने कहा कि इस तरह बेईमानों के पक्ष में फैसले सुनाए जाते रहे तो कल कोई अदालत नहीं जाएगा। मुझे यकीन है कि चार महीने बाद लोकसभा और विधानसभा चुनाव में जनता का फैसला अलग होगा। आज के न्यायालय का स्वरूप ढीला-ढाला है। हमलोगों ने इस केस को सच्चाई के साथ लड़ा, लेकिन हमारे पक्ष को मार दिया गया।
 
स्पीकर के फैसले पर सवाल
-जिस संविधान संशोधन को राहुल नार्वेकर ने खारिज कर दिया। उसी संविधान के आधार पर ठाकरे गुट के विधायकों को योग्य कैसे करार दिया। 
-1999 के बाद हमारे पास रिकॉर्ड पर शिवसेना की कोई संविधान नहीं है। इसका अर्थ यह है कि 1999 का संविधान ही आखिरी है। इसके मुताबिक शिवसेना प्रमुख बालासाहेब ठाकरे के पास सर्वोच्च अधिकार था। उसके बाद किसी को अधिकार दिए जाने का कोई रिकॉर्ड हमारे पास नहीं है। 
-राहुल नार्वेकर ने शिवसेना नेता के रूप में एकनाथ शिंदे को मान्यता दी है। जबकि सुप्रीम कोर्ट ने पैराग्राफ नंबर 123 में कहा है कि यह  फैसला गैरकानूनी है। 
 
-यह दुखद है कि एक संवैधानिक पद पर बैठा व्यक्ति लोकतांत्रिक रूप से चुनी हुई सरकार को उखाड़ फेंकने की प्रक्रिया में शामिल है। उन्होंने नार्वेकर के पक्ष में राजनीति करने वाले सभी लोग लोकतंत्र विरोधी बताया है।