नागपुर. इंदिरा गांधी शासकीय वैद्यकीय महाविद्यालय में अब तक 56 कॉक्लीयर इंप्लांट सर्जरी की जा चुकी हैं. इनमें 5 वर्ष तक के जन्मजात मूक बधिर बच्चों का समावेश है.
विभाग प्रमुख जीवन बेदी ने गुरुवार को पत्रकारों से बातचीत में बताया कि यहां विदर्भ, मराठवाड़ा के अलावा मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ से भी इलाज कराने के लिए मरीज आते हैं. उन्होंने बताया कि 15 दिन पहले 6 मूक बधिर बच्चों की कॉक्लीयर इंप्लांट सर्जरी सफलतापूर्वक की गई. इनमें सार्वी निखारे, विराज शिंदे, प्रियांशु लांडे, विराज आमले, देवांश बोरकर, अरिबा सैय्यद शामिल हैं. इसके ऑपरेशन में 6 लाख रुपये तक का खर्च होता है.
लिहाजा गरीब लोग ऑपरेशन कराने में सक्षम नहीं हैं. ऐसे में केंद्र सरकार की एडीआईपी योजना के तहत मुफ्त ऑपरेशन कराने की सुविधा प्रदान की गई है. डॉ. बेदी का कहना है कि ऑपरेशन के पश्चात बच्चा सामान्य बच्चों की तरह व्यवहार करने लगता है. उसके जीवन में किसी प्रकार की मुश्किलें नहीं आती हैं. उन्होंने कहा कि कॉक्लीयर इंप्लांट सर्जरी को लेकर लोगों में जागरूकता लाने की जरूरत है.
क्या है कॉक्लीयर इंप्लांट
कॉक्लीयर इंप्लांट एक इलेक्ट्रानिक डिवाइस है. इसे कान के अंदरूनी हिस्से में लगाया जाता है. इसका उपयोग बहरेपन के इलाज के लिए किया जाता है. यह कोई मशीन नहीं है जो आवाज को तेज सुनने में मदद करे बल्कि यह सीधे कान की अंदरूनी तंत्रिकाओं पर प्रभाव डालता है.