नागपुर. नायलॉन मांजा के कारण होने वाली दुर्घटनाएं तथा लोगों की जान जाने की खबरों पर स्वयं संज्ञान लेते हुए हाई कोर्ट ने इसे जनहित याचिका के रूप में स्वीकार किया. याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई के दौरान फेसबुक के वकील को उस समय हाई कोर्ट की फटकार का सामना करना पड़ा जब सुनवाई के लिए निर्धारित समय पर वकील उपस्थित नहीं हो पाया.
हालांकि सुबह की सुनवाई में उपस्थित नहीं होने के कारण अदालत ने इसे दोपहर बाद के लिए तो रखा लेकिन उस समय भी वकील उपस्थित नहीं होने पर हाई कोर्ट ने कड़ी आपत्ति जताई, साथ ही सरकारी वकील को इस संदर्भ में संज्ञान लेकर कार्यवाही करने के मौखिक आदेश भी दिए तथा जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया को प्रतिवादी बनाने की स्वतंत्रता अदालत मित्र को प्रदान की.
फेसबुक पर बिकता है मांजा
याचिका पर सुनवाई के दौरान अदालत को बताया गया कि स्थानीय एजेंसी के रूप में मनपा और पुलिस द्वारा नायलॉन मांजा के खिलाफ लगातार कार्रवाई की जाती है किंतु अब फेसबुक के माध्यम से ऑनलाइन बिक्री होने के कारण इसका उपयोग होता दिखाई दे रहा है. इन दलीलों के बाद हाई कोर्ट ने फेसबुक को अपना पक्ष रखने के आदेश दिए थे जिसके लिए शुक्रवार को पहले ही नंबर पर सुनवाई रखी गई.
सुनवाई के दौरान सरकारी पक्ष द्वारा बताया गया कि नायलॉन मांजा के खिलाफ हर समय कड़ी कार्रवाई की जाती है. यहां तक कि पुलिस अधिकारियों ने हाई कोर्ट के आदेश को लागू करते समय डमी ग्राहक आदि बनाकर दूकानों में भेजा है जिसके आधार पर ऐसे नायलॉन और सिंथेटिक मांजा के स्रोत का पता लगाने की कोशिशें होती रही है.