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    नागपुर. जिले में जुलाई और अगस्त महीने में हुई अतिवृष्टि और बाढ़ के चलते किसानों को भारी नुकसान पहुंचा है. जुलाई महीने में हुए सर्वे के अनुसार नुकसान का आंकड़ा 1.14 लाख हक्टेयर था जो अगस्त महीने में आसमानी कहर के चलते बढ़कर 2.43 लाख हेक्टयर तक पहुंच गया. खरीफ फसल के कुल रकबा में से आधे से अधिक क्षेत्र में सोयाबीन, कपास, तुर, फलबाग, संतरा-मौसंबी, सब्जियों का नुकसान हुआ है.

    जिला प्रशासन द्वारा नुकसान की भरपायी के लिए 339.69 करोड़ रुपयों की मांग का प्रस्ताव सरकार को भेजा था जिसे सरकार ने मंजूर भी कर लिया लेकिन अब तक निधि नहीं आने के चलते जिला प्रशासन द्वारा नुकसानग्रस्त किसानों के बैंक खातों में मुआवजा हस्तांतरण करना शुरू नहीं किया जा सका. जिले के किसानों की कमर अतिवृष्टि ने तोड़कर रख दी है और सोयाबीन व कपास पूरी तरह ही खराब हो चुके हैं. किसानों को तत्काल आर्थिक मदद की जरूरत है और वे सरकार की ओर आशा भरी नजरों से देख रहे हैं.

    15 से देने की हुई थी घोषणा

    पूरे नागपुर संभाग के 6 जिलों में नुकसान भरपायी के लिए 1157 करोड़ रुपयों की जरूरत है और सरकार को उक्त सर्वे रिपोर्ट निधि की मांग के प्रस्ताव के साथ भेजा जा चुका है. कृषि मंत्री अब्दुल सत्तार खुद जिले के दौरे पर आए थे. उन्होंने कुछ नुकसानग्रस्त क्षेत्रों का दौरा भी किया था. साथ ही घोषणा की थी कि जल्द से जल्द किसानों की सरकार मदद करेगी. वहीं मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने राज्यभर के पीड़ित किसानों के बैंक खातों में 15 सिंतबर से पहले चरण की मदद 15,000 रुपये जमा करने की घोषणा मानसून अधिवेशन के दौरान किया था लेकिन जिले के एक भी किसान के खाते में मदद की राशि जमा नहीं की गई.

    जिला प्रशासन को ही निधि नहीं मिलने की जानकारी है. जिले के किसान सरकार से जल्द से जल्द मदद की उम्मीद लगाए इंतजार कर रहे हैं. जिले में 2,67,092 किसान बाधित हुए हैं जिन्हें भारी नुकसान पहुंचा है. वहीं नागपुर संभाग के 6 जिलों में कुल 7.98 लाख हेक्टेयर में नुकसान हुआ है जिसमें 8.63 लाख किसान प्रभावित हुए हैं. इन्हें मुआवजा देने के लिए प्रशासन को 1157 करोड़ रुपये की मांग का प्रस्ताव भेजा गया है.