Nagpur High Court
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    नागपुर. मेडिकल कॉलेज शुरू करने के लिए स्क्रूटिनी शुल्क के नाम पर 10 लाख रुपए मांगे जाने तथा निधि नहीं भरने पर एनओसी नहीं देने के सरकारी निर्णय को चुनौती देते हुए वर्धमान फाउंडेशन ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की. याचिका पर गुरुवार को सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी कर रहे अधि. फिरदौस मिर्जा ने कहा कि आवेदन करने के बाद काफी समय बर्बाद हो गया है. अत: मेडिकल कॉलेज शुरू करने के लिए जो आवेदन किया गया था, वह प्रक्रिया वर्तमान में निष्फल हो गया है. यहां तक कि अब नये सिरे से आवेदन करना होगा जिससे याचिका वापस लेने की अनुमति देने का अनुरोध अदालत से किया गया. सुनवाई के बाद न्यायाधीश सुनील शुक्रे और न्यायाधीश अनिल पानसरे ने याचिका वापस लेने की स्वतंत्रता दी. साथ ही अदालत ने इस याचिका में प्रेषित सभी मुद्दे यथावत बने रहने के आदेश भी दिए.

    रजिस्ट्री में जमा 10 लाख वापस

    उल्लेखनीय है कि हाई कोर्ट ने 10 लाख रुपए जमा करने की शर्त पर प्रतिवादियों को नोटिस जारी कर सुनवाई की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया था. याचिकाकर्ता का उद्देश्य साफ होने के कारण कोर्ट में 10 लाख रुपए जमा भी किए गए थे. गुरुवार को सुनवाई के दौरान बताया गया कि चूंकि अब याचिका वापस ली जा रही है, अत: कोर्ट में जमा 10 लाख रुपए भी वापस लेने की स्वतंत्रता मांगी जिसके बाद अदालत ने न केवल 10 लाख रुपए वापस लेने की स्वतंत्रता दी बल्कि यदि इस रकम पर किसी तरह का ब्याज हो तो वह भी लेने की स्वतंत्रता प्रदान की. अधि. मिर्जा ने कहा कि नेशनल कमीशन फॉर इंडियन सिस्टम ऑफ मेडिसिन एक्ट-2020 के तहत नया कॉलेज शुरू करने की याचिकाकर्ता का मानस है.

    नियमों के अनुसार बनाई है योजना

    अधि. मिर्जा ने कहा कि नया कॉलेज शुरू करने की दिशा में कानून में प्रदत्त नियमों के अनुसार विस्तृत योजना तैयार की गई जिसके अनुसार पहली बार 7 अक्टूबर 2020 को आवेदन किया गया. यह कानून की धारा 28 और 29 के अनुसार 11 मार्च 2021 को पुन: मंजूरी के लिए आवेदन किया गया. नये कानून में इंडियन मेडिसिन सेंट्रल काउंसिल एक्ट 1970 की धारा 36 को निरस्त कर दिया गया है. नये कानून की धारा 58 में आवेदन की प्रक्रिया का उल्लेख किया गया है. अधि. मिर्जा ने कहा कि पुराने कानून में निर्धारित नियमों के अनुसार राज्य सरकार से केवल अनापत्ति प्रमाणपत्र की अनिवार्यता होती थी. इसके अलावा राज्य सरकार का पूरी प्रक्रिया में किसी तरह का रोल नहीं था.