- जनमंच ने की मांग
नागपुर. विदर्भ के साथ अन्याय कोई नई बात नहीं है. इस वर्ष भी विधानमंडल का शीतकालीन सत्र रद्द कर एक तरह से अन्याय ही किया गया है. कोरोना के नाम पर यह दूसरा मौका है कि शीतकालीन सत्र रद्द कर दिया गया. अब इस पर मुहर लग जाने से शीत सत्र के माध्यम से सरकार की तिजोरी पर पड़ने वाला लगभग 500 करोड़ का खर्च बच जाएगा. यह निधि विदर्भ विकास के लिए विशेष निधि के रूप में देने की मांग जनमंच ने की. जनमंच के पदाधिकारियों ने कहा कि विदर्भ के अनुशेष पर काफी चर्चा हो चुकी है. स्वास्थ्य सेवाओं की दुरावस्था, लंबित सिंचाई के प्रकल्प, सड़क, बिजली और पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं की कमी और रोजगार के अभाव जैसे कई क्षेत्रों में पिछड़ापन प्रखरता से उजागर हो रहा है.
निधि की कमी का हर समय बहाना
जनमंच पदाधिकारियों ने कहा कि विदर्भ को कभी भी पर्याप्त निधि आवंटित नहीं हुई है. यहां तक कि कुछ निधि मिलने के बाद उसे किसी न किसी कारण से वापस लेने के कई अनुभव भी रहे हैं, जबकि कई बार राज्य की तिजोरी में निधि की कमी का बहाना रहा है. इस समय विशेष निधि मंजूर करने के लिए निधि की कमी का बहाना नहीं हो सकेगा. शीत सत्र नहीं होने के कारण बचे 500 करोड़ विदर्भ के नाम पर ही खर्च हो सकेंगे. वैसे तो यह निधि शीत सत्र के नाम पर ‘नेताओं और अधिकारियों की पिकनिक’ पर ही खर्च होनी थी. उसके बदले अब कैंसर अस्पताल तैयार करने, जिगांव का लंबित सिंचाई प्रकल्प या सूखाग्रस्त हिस्सों में किसानों को राहत के लिए खर्च किया जा सकता है.
नेताओं ने भी करनी चाहिए मांग
शीत सत्र में भले ही कुछ हो न हो लेकिन विदर्भ की कई समस्याएं इस माध्यम से जरूर उजागर होती हैं. कुछ हद तक इनका निवारण करने के प्रयास भी होते हैं. इसके अलावा लोगों में जागृति होती है. अब चूंकि सत्र ही रद्द किया गया है, अत: इस वर्ष विदर्भ की झोली खाली रहेगी. किंतु विदर्भ को न्याय देने के उद्देश्य से स्थानीय नेता भी यह निधि विदर्भ के लिए मांग सकते हैं जिसका अधिक प्रभाव होगा. इस संदर्भ में तुरंत निर्णय लेकर विदर्भ को विशेष निधि के रूप में 500 करोड़ देने की मांग अध्यक्ष राजीव जगताप, मनोहर रडके, विट्ठलराव जावलकर, शरद पाटिल, राम आखरे, रमेश बोरकुटे, सावलकर आदि ने की.