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    नागपुर. आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को सहायता के लिए सराकरी दूकानों से सहूलियत दर पर अनाज वितरित किया जाता है. इसके तहत 2 रुपये किलो की दर से गेहूं व 3 रुपये किलो के हिसाब से चावल दिया जाता है. दिवाली के वक्त ‘दिवाली किट’ भी दी गई लेकिन राशन कार्ड की सूची में शामिल अब भी जिले के करीब 57,000 लाभार्थी योजना का लाभ नहीं ले रहे हैं.

    सिटी में 3.84 लाख राशन कार्ड धारकों में से 3.53 लाख लोगों ने ‘दिवाली किट’ प्राप्त की. ग्रामीण में 4.13 लाख लाभार्थियों में से 3.87 लाख लोगों को किट मिली. अब बचा हुआ अनाज दूकानों में है लेकिन लाभार्थियों के लेने नहीं आने की बात आपूर्ति विभाग की ओर से की जा रही है. यह अनाज सरकार को वापस करना है या नहीं, इस बारे में अब तक निर्णय नहीं होने की जानकारी जिला आपूर्ति अधिकारी रमेश बेंडे ने दी.

    बताया जाता है कि अनेक राशन कार्ड धारक शासकीय योजना का लाभ नहीं लेते. उनके हिस्से का अनाज बचने के कारण ही इसकी बाहर बिक्री होती है. जरूरतमंदों के हिस्से का अनाज खुले बाजार में बेचना अपराध है. जीवनावश्यक कानून 1955 की धारा 3 व 7 के अनुसार कालाबाजारी करने वालों के खिलाफ कार्रवाई का प्रावधान है. साथ ही लाइसेंस भी रद्द किया जाता है. अग्रिम रकम सरकार के पास जमा कर अवैध माल विभाग को लौटाने का प्रावधान है.

    जिला आपूर्ति अधिकारी ने बचा हुआ माल नहीं बेचने के आदेश दिये हैं. बोगस कार्ड को रोकने के लिए ही प्रशासन ने राशन कार्ड को आधार से लिंक किया है. इसके बाद भी अब तक सिटी में 1.40 लाख और ग्रामीण में 55,000 कार्ड धारकों ने आधार लिंक नहीं किया है. जल्द से जल्द आधार से लिंक करने की अपील विभाग की ओर से की गई है. यदि इसके बाद भी ये अगले 6 महीने तक अनाज लेकर नहीं जाते तो उनके नाम नॉन प्रॉयोरिटी हाउस होल्ड्स (एनपीएचएच) में डाले जाएंगे. बाद में इन लोगों को अनाज नहीं मिलेगा.