नागपुर में भड़के गोवारी, किया रास्ता रोको आंदोलन, हजारों की संख्या में पहुंचे समाजबंधु

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नागपुर: समाज को आदिवासी का आरक्षण (Tribal Reservation) देने की मांग को लेकर बीते 11 दिनों से समाज के 3 युवक संविधान चौक पर आमरण अनशन पर बैठे हैं लेकिन न ही सरकार का कोई प्रतिनिधि और न ही प्रशासन का अधिकारी उनकी सुध लेने पहुंचा। सरकार द्वारा दखल नहीं लिये जाने से समाजबंधु भड़क उठे और पूरे राज्यभर से हजारों की संख्या में नागपुर पहुंचे और रास्ता रोको आंदोलन शुरू कर दिया। 

एलआईसी चौक, मारिस टी प्वाइंट स्थित शहीद गोवारी स्मारक और वेरायटी चौक पर समाज के युवा सड़कों पर बैठकर चक्का जाम आंदोलन शुरू कर दिया।  दोपहर एक बजे से रास्ता रोको आंदोलन खबर लिखे जाने तक जारी था जिसके चलते सदर बर्डी सहित आसपास का पूरा इलाका ट्रैफिक जाम से त्रस्त हो गया। यातायात व्यवस्था ठप हो गई। सिटी बसों से लेकर कारों की कतारें लग गईं उनके सामने वाहन को खड़ा करने के अलावा कोई चारा नहीं था।   

जिला प्रशासन के खिलाफ रोष

पुलिस और आंदोलनकारियों के बीच कई बार तनाव की स्थिति बनी। जानकारी के अनुसार पुलिस अधिकारियों ने जिलाधिकारी को अनशनकारियों का ज्ञापन लेने के लिए आने का निवेदन किया लेकिन बैठक होने के चलते उन्होंने नायब तहसीलदार को प्रतिनिधि के रूप में भेजा।  इससे आंदोलनकारी और भारु गए। 

दखल नहीं लेने का परिणाम

गोवारी समाज के तीन युवा वर्धा के किशोर चौधरी, यवतमाल के सचिन चचाणे और बुलढाना के चंदन कोहरे गोवारी समाज को आदिवासी आरक्षण देने की मांग को लेकर आमरण अनशन पर बैठे हैं, सरकार के स्तर पर अनशन को गंभीरता से नहीं लिया गया और कोई भी अनशन स्थल पर भेंट देने नहीं पहुंचा। जिसके चलते समाजबंधुओं से हजारों की संख्या में नागपुर पहुंचने और रास्ता रोको आंदोलन करने की अपील की गई ताकि सरकार दखल ले। अपील के चलते सोमवार को विदर्भभर से लगभग 25 से 30,000 समाजबंधु पहुंच गए।  सिटी का मुख्य रास्ता जाम कर दिया गया।  अनशनकर्ताओं की मांग है कि उन्हें अब आश्वासन नहीं अध्यादेश चाहिए। 

देशमुख को लौटना पड़ा बैरंग

सुबह करीब 11 बजे कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष नाना पटोले और शहर अध्यक्ष विकास ठाकरे ने अनशन स्थल पर भेंट देकर मुलाकात की और साथ खड़े होने का आश्वासन दिया।  जानकारी के अनुसार शाम तक स्थिति तनावपूर्ण हो गई थी।  जब पूर्व मंत्री अनिल देशमुख अनशन स्थल पर भेंट देने आए तो समाजबांधनों ने उनका यह कहते हुए विरोध किया कि जब सरकार में थे तब तो कुछ नहीं किया।  उन्हें बैरंग ही लौटना पड़ा।