Nagpur News: हंगामेदार रहेगा शीत सत्र का अंतिम सप्ताह, कई मामलों पर कड़ा होगा संघर्ष

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नागपुर. विधानमंडल का शीत सत्र अब अंतिम पड़ाव में है. भले ही 10 दिनों की कार्यवाही कमोबेश शांतिपूर्ण रही हो लेकिन अब किसानों की त्रासदी, मराठा आरक्षण, अंतिम सप्ताह में राज्य के पिछड़ते विकास, बेरोजगारी जैसे मुद्दों को लेकर दोनों सदनों में हंगामे के आसार है. इसके अलावा की मुद्दों को लेकर सत्तापक्ष और विपक्ष आमने-सामने होने की भी संभावना है. इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 3 दिन पहले विधानसभा में विधायक नितेश राणे ने दाऊद के दाहिने हाथ सलीम कुत्ता के साथ उद्धव ठाकरे के पदाधिकारी द्वारा पार्टी किए जाने का आरोप लगाया था. जिस पर गृह मंत्री फडणवीस ने एसआईटी के माध्यम से जांच करने का आश्वासन सदन में दिया. अब इस मामले में सलीम कुत्ता को लेकर जारी वीडियो को लेकर पूर्व मंत्री एकनाथ खड़से और मंत्री गिरीश महाजन के बीच नोक-झोंक शुरू है. वहीं शिवसेना की पदाधिकारी सुषमा अंधारे की ओर से भी पलटवार करते हुए सलीम कुत्ता की पार्टी में गिरीश महाजन भी शामिल होने का आरोप लगाया.

सदन में विपक्ष उठाएगा मामला

सूत्रों के अनुसार विधायक नितेश राणे द्वारा मामला उठाए जाने के बाद संख्या बल के कारण सदन में भले ही विपक्ष कमजोर दिखाई दिया हो, लेकिन अब पार्टी में सरकार का एक मंत्री होने का ही वीडियो जारी होने के कारण सदन में विपक्ष द्वारा इस मुद्दे को उठाया जाएगा. सूत्रों के अनुसार इस मुद्दे को लेकर 2 दिनों से राज्य की राजनीति गरमाई हुई है. भाजपा के विधायक पर आरोप होने के कारण उनकी पार्टी की ओर से तो बचाव किया जा रहा है लेकिन भाजपा के सहयोगी दल शिंदे सेना और अजीत पवार गुट की ओर से किसी तरह की बयानबाजी नहीं की जा रही है. यहां तक कि इन दोनों दलों के नेताओं ने फिलहाल मामले से स्वयं को दूर रखा है. 

मराठा आरक्षण की अग्नि परीक्षा

मराठा समाज को आरक्षण देने पर सत्तापक्ष और विपक्ष एकमत है. इसमें किसी तरह का संदेह नहीं है लेकिन कानून के पेंच में मामला फंसा होने के कारण अब मराठा आरक्षण को लेकर विधानमंडल के दोनों सदनों में हुई चर्चा के जवाब में आरक्षण की घोषणा करना सत्तापक्ष के लिए अग्नि परीक्षा जैसी है. माना जा रहा है कि ईडब्ल्यूएस जैसी कोई नीति निर्धारित कर फिलहाल मराठा आंदोलन को शांत करने का प्रयास हो सकता है. भाजपा के वरिष्ठ विधायक आशीष शेलार द्वारा इसके संकेत भी दिए गए. किंतु सरकार के किसी भी तरह के फैसले को फिर चुनौती मिलने की संभावना है. ऐसे में मराठा आरक्षण गले की फांस बना हुआ है.