नागपुर. इंदिरा गांधी शासकीय वैद्यकीय महाविद्यालय व अस्पताल (मेयो) के अपग्रेडेशन के तहत कैजुअल्टी और सर्जिकल कॉम्प्लेक्स का निर्माण किया गया. आधुनिक शल्यक्रिया की सुविधा से युक्त इस इमारत में मरीजों का अच्छा उपचार हो रहा है. अब दूसरे चरण में प्रशासकीय विंग और ५०० बिस्तरों की क्षमता वाला मेडिसिन विंग बनाया जाना है. प्रशासकीय विंग का निर्माण कार्य चल रहा है लेकिन मेडिसिन विंग का कार्य अटका हुआ है. लागत खर्च में बढ़ोतरी की वजह से मेडिसिन विंग के लिए और करीब 2 वर्ष तक इंतजार करना पड़ सकता है.
वर्तमान में मेयो में कुल ४४ वॉर्ड हैं. अस्पताल की इमारत पुरानी होने से वार्ड क्रमांक १, २, 3, ४, ७, ८, ९, ११, १3, १४ की हालत जीर्ण हो गई है. इस संबंध में वीएनआईटी की ओर से स्ट्रक्चरल ऑडिट के बाद रिपोर्ट भी दी गई है. पहले मेयो में केवल ५९४ ही बिस्तर थे लेकिन अब बिस्तरों की संख्या बढ़कर ८७० तक पहुंच गई है. इनमें 390 बिस्तर सर्जिकल कॉम्प्लेक्स की इमारत में है. इसमें अस्थि रोग विभाग के 3 वॉर्ड, दूसरे माले पर नेत्र विभाग और तीसरे माले पर शल्यक्रिया विभाग के 2 वॉर्ड कार्यान्वित हैं, जबकि चौथा माला बर्न मरीजों के लिए रखा गया है.
मेयो में ७७ करोड़ रुपये खर्च कर सर्जिकल कॉम्प्लेक्स बनाया गया, जबकि दूसरे चरण में मेडिसिन कॉम्प्लेक्स के लिए १०० करोड़ रुपये खर्च अपेक्षित था लेकिन इसमें वृद्धि हो गई है. अब तक खर्च २६५ करोड़ रुपये तक पहुंच गया है. ५०० बिस्तर क्षमता के मेडिसिन विंग का कार्य कब होगा, यह प्रशासन भी बताने में असमर्थ है. बताया जाता है कि अगले 2 वर्ष तक मेडिसिन कॉम्प्लेक्स की प्रतीक्षा करना पड़ सकता है.