RTMNU, nagpur University

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    नागपुर. आरटीएम नागपुर विश्वविद्यालय प्रशासन ने अपने स्नातकोत्तर विभागों को ऑटोनामस का दर्जा दे दिया है लेकिन प्रवेश को लेकर छात्रों में अब भी रुचि कम देखने को मिल रही है. प्रक्रिया में देरी और प्रवेश परीक्षा की वजह से इस बार साइंस को छोड़कर अन्य विभागों में अब भी 40-50 फीसदी सीटें खाली हैं. स्थिति यह है कि छात्र नहीं मिलने से अब तक प्रवेश प्रक्रिया जारी रखना पड़ा है.  

    विवि के करीब 39 स्नातकोत्तर विभाग हैं. इस वर्ष प्रवेश के लिए सीईटी ली गई. इसकी शुरुआत जून में रजिस्ट्रेशन के साथ हुई. पहली मेरिट सूची अगस्त में जारी की गई. 15 अगस्त तक सूची के आधार पर छात्रों को विभागों में प्रवेश लेना था. शुरुआती दौर में साइंस विभाग में प्रवेश हुए लेकिन ह्यूमिनिटी के विभागों में अब भी सीटें खाली हैं. सीटें खाली होने के कारण विवि ने 7 अक्टूबर तक वेटिंग वाले छात्रों की प्रवेश परीक्षा लेकर एडमिशन देने को कहा है. बताया जाता है कि अब भी साइंस के गैर अनुदानित पाठ्यक्रमों में सीटें खाली हैं. 

    सभी विभागों में फोन कर लें जानकारी: खड़ेकर

    केंद्रीय प्रवेश पद्धति की जिम्मेदारी गणित विभाग के प्रा. जी.एस. खड़ेकर को सौंपी गई है. उन्होंने बताया कि जिन विभागों में सीटें खाली हैं उनके लिए 7 अक्टूबर तक प्रवेश दिये जाएंगे. प्रवेश उन्हीं छात्रों को दिये जाएंगे जिन्होंने प्रोसेस में हिस्सा लिया था. हालांकि अब तक किन विभागों में कितनी सीटें खाली हैं, यह बताने में वह असमर्थ रहे. उनका कहना था कि सभी विभागों में संपर्क कर खाली सीटों के बारे में जानकारी हासिल करें. इस बारे में उनके पास जानकारी उपलब्ध नहीं है. 

    स्नातकोत्तर विभागों में प्रवेश हेतु प्रक्रिया के लिए संबंधित विभाग के प्राध्यापक को जिम्मेदारी सौंपी गई है. उनके पास ही समूची जानकारी मिल सकेगी. प्र-उपकुलपति कार्यालय के पास कोई जानकारी नहीं है. 

    – प्रा. संजय दुधे, प्र-उपकुलपति

    कुछ विभागों में 15 से ज्यादा प्रवेश नहीं 

    खाली सीटों के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए विवि के संबंधित अधिकारियों से पूछताछ की गई लेकिन जानकारी नहीं मिल सकी. अधिकारी एक से दूसरे पर जिम्मेदारी सौंपने में लगे रहे. इससे साफ हो जाता है कि विवि में आपसी तालमेल का अभाव है. विभागों को ऑटोनामस का दर्जा तो दिया गया लेकिन अब तक सीटें खाली हैं. खासतौर पर ह्यूमिनिटी में अनेक सीटें खाली ही रह जाएंगी. दरअसल विवि द्वारा इस दिशा में कभी ध्यान ही नहीं दिया गया. विभागों की ओर छात्रों को आकर्षित करने के लिए कोई योजना ही नहीं बनाई गई. कुछ विभागों में तो अब भी 10-15 से अधिक प्रवेश नहीं हो सके हैं. इन छात्रों के लिए अंशकालीन और नियमित प्राध्यापकों की संख्या भी करीब इतनी ही है.